बॉलीवुड

तीन सहेलियों की रहस्य कथा ‘Black Widows’ 18 दिसम्बर को ओटीटी पर

फिनलैंड में काफी पहले ‘ब्लैक विडोज’ ( Black Widows ) नाम से बन चुकी है वेब सीरीज
इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि कई देशों में इस कहानी पर बनी सीरीज
अब भारत में निर्माताओं ने पूर्व-अनुमति के साथ बनाई ‘ब्लैक विडोज’

Dec 02, 2020 / 02:42 pm

पवन राणा

तीन सहेलियों की रहस्य कथा ‘Black Widows’ 18 दिसम्बर को ओटीटी पर

-दिनेश ठाकुर
व्यंग्यकार इब्ने इंशा ने अपनी ‘उर्दू की आखिरी किताब’ में आदमी की गिनती जानवरों में करते हुए लिखा है- ‘अपनी मादा की खिदमत में जितनी दौड़धूप यह (आदमी) करता है, कोई और जानवर नहीं करता। इसीलिए तो इसके सींग गायब हो गए, खुर घिस गए और दुम झड़ गई।’ व्यंग्य से हटकर देखें तो एक हकीकत यह भी है कि जितने जुल्म आदमी अपनी मादा पर करता है, कोई जानवर शायद ही करता हो। घरेलू हिंसा के लगातार बढ़ते मामले इसी तल्ख हकीकत की तरफ इशारा करते हैं। घर में पत्नी की प्रताडऩा कभी-कभी संगीन जुर्म की जमीन तैयार कर देती है। यह सिर्फ भारत नहीं, तमाम दुनिया का मसला है। हॉलीवुड में सस्पेंस फिल्मों के उस्ताद अल्फ्रेड हिचकॉक ने 1954 में इस मसले पर चुस्त फिल्म ‘डायल एम फोर मर्डर’ ( Dial M for Murder Movie ) बनाई थी, जिसमें लम्पट पति अपनी पत्नी की हत्या के लिए ऐसा जाल बुनता है कि उस पर शक के छींटे तक न पड़े। इस फिल्म की नकल अपने यहां ‘ऐतबार’ ( Aitbaar Movie ) (डिम्पल कपाडिया, राज बब्बर) ( Dimple Kapadia ) ( Raj Babbar ) नाम से हो चुकी है, जिसका एक गाना ‘किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है’ फिल्म से ज्यादा चला था।

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अचूक हत्या के चक्कर में
इस मसले पर हॉलीवुड के साथ-साथ बॉलीवुड में भी कई और फिल्में बन चुकी हैं। इन तमाम फिल्मों में इस तथ्य को स्थापित किया गया कि अचूक हत्या (परफेक्ट मर्डर) महज भ्रम है। पाप ज्यादा देर पर्दे में नहीं छिपाया जा सकता। एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 18 दिसम्बर को आ रही वेब सीरीज ‘ब्लैक विडोज’ ( Black Widows Web Series ) के ताने-बाने में भी इसी हकीकत को बुना गया है। किस्सा यह है कि तीन सहेलियां (मोना सिंह, स्वास्तिका मुखर्जी, शमिता शेट्टी) अपने पतियों की प्रताडऩा से त्रस्त होकर इन्हें ठिकाने लगाने की साजिश रचती हैं। उन्हें लगता है कि पतियों को ‘ऊपर’ भेज कर वे तमाम परेशानियों से आजाद हो जाएंगी। साजिश के तहत एक हादसा होता है और तीनों पतियों को मृत मान लिया जाता है। लेकिन इन ‘विधवाओं’ के आजादी के जश्न में तब खलल पड़ता है, जब एक का पति फिर कहानी में एंट्री लेता है।

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फिनलैंड की वेब सीरीज का रूपांतर
निर्देशक बिरसा दास गुप्ता ने देशी वेब सीरीज ‘ब्लैक विडोज’ के लिए जो कहानी चुनी है, वह देशी नहीं, आयातित है। फिनलैंड में काफी पहले इसी नाम से वेब सीरीज बन चुकी है। उसी की कहानी भारतीय कलाकारों के साथ सुनाई जाएगी। हॉलीवुड की ‘मोमेंटो’ भारत में कितनों ने देखी? उसकी कहानी पर आमिर खान की ‘गजनी’ बनी, तो सिनेमाघरों में देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी थी।

शरद केलकर का भी अहम किरदार
बहरहाल, ‘ब्लैक विडोज’ में शरद केलकर, परमव्रत चट्टोपाध्याय, सव्यसाची चक्रवर्ती, आमिर अली और राइमा सेन ने भी अहम किरदार अदा किए हैं। अच्छी बात यह है कि भारत में ‘ब्लैक विडोज’ बनाने वालों ने विदेशी कहानी पर उस तरह हाथ नहीं मारा है, जिस तरह हमारे कई फिल्मकार करते हैं कि विदेशी फिल्म देखी और ‘कोई देख तो नहीं रहा’ के दबे अंदाज में कहानी उड़ा ली। ‘ब्लैक विडोज’ मूल सीरीज बनाने वालों से इजाजत लेकर बनी है। फिनलैंड में रची गई इस कहानी की घनघोर लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस पर चैकोस्लोवाकिया, मैक्सिको, यूक्रेन, लिथुआनिया और एस्टोनिया समेत सात देशों में भी वेब सीरीज बन चुकी है।

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