इस तरह मिला पहला ब्रेक:
साधना जब स्कूल की छात्रा थीं और डांस सीखने के लिए एक डांस स्कूल में जाती थीं, तभी एक दिन एक नृत्य-निर्देशक उस डांस स्कूल में आए। उन्होंने बताया कि राज कपूर को अपनी फिल्म के एक ग्रुप-डांस के लिए कुछ ऐसी छात्राओं की जरूरत है, जो फिल्म के ग्रुप डांस में काम कर सकें। साधना की डांस टीचर ने कुछ लड़कियों से नृत्य करवाया और जिन लड़कियों को चुना गया, उनमें से साधना भी एक थीं। इससे साधना बहुत खुश थीं, क्योंकि उन्हें फिल्म में काम करने का मौका मिल रहा था। राज कपूर की उस फिल्म का नमा था ‘श्री 420’ जिसमें साधना ने डांस किया था। डांस सीन की शूटिंग से पहले रिहर्सल हुई। वह गाना था- ‘रमैया वस्ता वइया…’ साधना शूटिंग में रोज शामिल होती थीं। नृत्य-निर्देशक जब जैसा कहते साधना वैसा ही करतीं। शूटिंग कई दिनों तक चली। लंच-चाय तो मिलते ही थे, साथ ही चलते समय नगद मेहनताना भी मिलता था। इस फिल्म के गीत ‘ईचक दाना बीचक दाना…’ में साधना को कोरस लड़की की भूमिका मिली थी।
पहली फिल्म के लिए मिला था एक रुपए की टोकन राशि:
वर्ष 1958 में साधना को सिंधी फिल्म ‘अबाना’ में काम करने का मौका मिला जिसमें उन्होंने अभिनेत्री शीला रमानी की छोटी बहन की भूमिका निभाई थी और इस फिल्म के लिए इन्हें एक रुपए की टोकन राशि का भुगतान किया गया था। इसके बाद साधना ने वर्ष 1958 में प्रदर्शित सिंधी फिल्म ‘अबाना’ में काम किया। बॉलीवुड में साधना ने अपने कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1960 में प्रदर्शित फिल्म ‘लव इन शिमला’ से की। इस फिल्म के निर्देशक थे आर.के.नैयर, और उन्होंने ही साधना को नया लुक दिया साधना कट। दरअसल, साधना का माथा बहुत चौड़ा था जिसकी वजह से उसे बालों से कवर किया गया था। उस स्टाइल का नाम ही पड़ गया ‘साधना कट’। फिल्म के सेट पर उन्हें फिल्म के निर्देशक आर.के.नैय्यर से प्रेम हो गया और बाद में उन्होंने उनसे शादी कर ली।
पहली सुपरहिट फिल्म:
वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म ‘हम दोनों’ साधना के कॅरियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में उन्हें देवानंद के साथ काम करने का मौका मिला था। फिल्म में देवानंद ने दोहरी भूमिका निभायी थी। साधना और देवानंद की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आयी। इसके बाद साधना ने राज खोसला के निर्देशन में बनी फिल्म ‘एक मुसाफिर एक हसीना’ में काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1963 में साधना की एक और सुपरहिट फिल्म ‘मेरे महबूब’ रिलीज हुई। वर्ष 1964 में साधना को एक बार फिर से राज खोसला के निर्देशन में बनी फिल्म ‘वो कौन थी’ में काम करने का अवसर मिला। फिल्म के निर्माण के समय मनोज कुमार और अभिनेत्री के रूप में निम्मी का चयन किया गया था लेकिन राज खोसला ने निम्मी की जगह साधना को चुना। रहस्य और रोमांच से भरपूर इस फिल्म में साधना की रहस्यमयी मुस्कान के दर्शक दीवाने हो गये। इस फिल्म के लिये साधना को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित किया गया था। हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए, अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी (आईफा) द्वारा साधना को 2002 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। अपनी विशिष्ट अदायगी से दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाने वाली साधना 25 दिसंबर, 2015 को दुनिया से अलविदा कह गईं।