19 वर्ष की उम्र में आए मुंबई:
इस दिशा में शुरूआत करते हुए उन्होने अपने पिता के साथ महज तीन वर्ष की उम्र से स्टेज कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। सोनू निगम 19 वर्ष की उम्र में सिंगर बनने का सपना लेकर अपने पिता के साथ मुंबई आ गए। यहां उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिये वह स्टेज पर मोहम्मद रफी के गाए गानो के कार्यक्रम पेश किया करते थे।
पहली ही फिल्म नहीं हो सकी प्रदर्शित:
इसी दौरान प्रसिद्ध कंपनी टी.सीरीज ने उनकी प्रतिभा को पहचान उनके गाए गानो का एलबम ‘रफी की यादें’निकाला। सोनू निगम ने प्लेबैक सिंगर के तौर अपने सिने कॅरियर की शुरूआत फिल्म’जनम’से की लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म प्रदर्शित नही हो सकी। लगभग पांच वर्ष तक वह मुंबई में संघर्ष करते रहे। आश्वासन तो भी देते लेकिन उन्हें काम करने का अवसर कोई नही देता था।
सोनू निगम के कॅरियर के लिए वर्ष 1995 अहम साबित हुआ और उन्हें छोटे पर्दे पर कार्यक्रम ‘सारेगामा’ में होस्ट के रूप में काम करने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम से मिली लोकप्रियता के बाद वह कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। इस बीच उनकी मुलाकात टी.सीरीज के मालिक गुलशन कुमार से हुई, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान करके अपनी फिल्म’बेवफा सनम’में प्लेबैक सिंगर के रूप में काम करने का मौका दिया।
इस गाने ने दिलाई सफलता:
फिल्म ‘बेवफा सनम’में उनके गाए गीत ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का..’उन दिनों श्रोताओ के बीच क्रेज बन गया। फिल्म और गीत की सफलता के बाद वह सिंगर के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। बेवफा सनम की सफलता के बाद सोनू निगम को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए जिनमें ‘दिल से’, ‘सोल्जर’, ‘आ अब लौट चले’, ‘सरफरोश’, ‘हसीना मान जायेगी’ और ‘ताल’ जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद उन्होंने सफलता की नई बुलंदियों को छुआ और एक से बढकऱ एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुंग्ध कर दिया।