दिलीप कुमार और सायरा बानो के जीवन पर पत्रकार और लेखक उदयतारा नायर ने एक किताब लिखी है। इस किताब का नाम ‘द सब्स्टेंस एंड द शैडो’ है जिसके 400 पन्नों में दिलीप कुमार की जिंदगी सिमटी हुई है। एक इंटरव्यू में दिलीप कुमार ने बताया था कि साल 1972 में सायरा पहली बार प्रेग्नेंट हुईं थीं। 8 महीने की प्रेग्नेंसी में सायरा को ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई। इस दौरान पूर्ण रूप से विकसित हो चुके भ्रूण को बचाने के लिए सर्जरी करना संभव नहीं था और दम घुटने से बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद वह कभी भी प्रेग्नेंट नहीं हो सकीं। वहीं दिलीप कुमार ने बताया कि उनके मन में बाप न बन पाने की टीस कहीं दिल में ही रह गई। सायरा ने एक इंटरव्यू में कहा था अगर उनका बेटा होता तो वो शाहरुख खान के जैसा संस्कारों वाला होता।
इस अभिनेत्री से की दूसरी शादी
दिलीप साहब ने समाज और परिवार में बच्चे के दबाव के चलते अस्मां से दूसरी शादी कर ली थी। 80 के दशक के शुरुआत में दिलीप कुमार और सायरा बानो के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। तभी उनकी जिंदगी में आई ‘अस्मां’। 30 मई, 1980 को बेंगलोर में बिना सायरा के रजामंदी के दूसरी शादी कर ली, तो वे बुरी तरह टूट गईं। लेनिक इनकी ये शादी ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकी और 22 जून, 1983 को दोनों के बीच तलाक हो गया।
दिलीप साहब ने समाज और परिवार में बच्चे के दबाव के चलते अस्मां से दूसरी शादी कर ली थी। 80 के दशक के शुरुआत में दिलीप कुमार और सायरा बानो के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। तभी उनकी जिंदगी में आई ‘अस्मां’। 30 मई, 1980 को बेंगलोर में बिना सायरा के रजामंदी के दूसरी शादी कर ली, तो वे बुरी तरह टूट गईं। लेनिक इनकी ये शादी ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकी और 22 जून, 1983 को दोनों के बीच तलाक हो गया।
पाकिस्तान सरकार ने भी नवाजा
दिलीप कुमार को बेहतरीन अभिनय के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्मभूषण की उपाधि से नवाजा और 1995 में फिल्म का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान ‘दादा साहब फाल्के अवॉर्ड’ भी प्रदान किया। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें 1997 में ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से नवाजा था। उससे पहले दिलीप कुमार साहब 1980 में मुंबई के शेरिफ भी नियुक्त किए गए थे।
दिलीप कुमार को बेहतरीन अभिनय के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्मभूषण की उपाधि से नवाजा और 1995 में फिल्म का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान ‘दादा साहब फाल्के अवॉर्ड’ भी प्रदान किया। पाकिस्तान सरकार ने भी उन्हें 1997 में ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से नवाजा था। उससे पहले दिलीप कुमार साहब 1980 में मुंबई के शेरिफ भी नियुक्त किए गए थे।