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बॉलीवुड के मशहूर खलनायक अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब राज्य के जालंधर में जन्म हुआ था। फिल्मों में उन्होंने अपने करियर की शुरूआत साल 1967 में आई मराठी फिल्म ‘शंततु! कोर्ट चालू आहे’ से की थी। इसके बाद बॉलीवुड में उन्होंने 1971 में आई फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ से डेब्यू किया था। अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनना चाहते थे लेकिन खलनायक बनकर उन्होने अपना नाम अमर कर दिया।
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अमरीश पुरी को आज भी बॉलीवुड का बेस्ट विलेन माना जाता है। मिस्टर इंडिया, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, घातक, दामिनी, करण-अर्जुन जैसी कई फिल्में ऐसी थीं जिसमें खलनायक होकर भी वो एक बड़े सुपरस्टार हीरो के नाम से पहचाने जाने लगे। यह बात बहुत कम लोग ही जानते है कि अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में आने से पहले अपनी जिंदगी के लगभग दो दशक एक बीमा कंपनी को दिए थे। उन्होंने काफी लंबे समय तक बीमा कंपनी के कर्मचारी के तौर पर काम किया था।
अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक थे। उनकी दमदार संवाद अदायगी के लोग कायल थे। फिल्मों में उनके कई डयलॉग ऐसे है जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं। जैसे ‘फूल और कांटें’ फिल्म का ‘जवानी में अक्सर ब्रेक फ़ेल हो जाया करते हैं’, नगीना फिल्म का ‘आओ कभी हवेली पर’, फिल्म मिस्टर इंडिया का ‘मोगैंबो खुश हुआ’ उनके चर्चित डायलॉग हैं।