यह वाकया उन दिनों का है जब भारत भूषण एक्टर बनने मुंबई आए थे और काम की तलाश में थे। भारत भूषण जब मुंबई आए तो उनके पास हिंदी सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर महबूब खान के लिए एक रिकमेंडेशन लैटर था। उस वक्त महबूब खान मुंबई स्टूडियो में अलीबाबा चालीस चोर की शूटिंग में बिजी थे। भारत भूषण ने उन्हें वह लैटर दिखाया लेकिन तब तक फिल्म में कोई रोल नहीं बचा था। महबूब ने भारत भूषण का लैटर नजरअंदाज कर दिया। वह काफी निराश हो गए और तब उन्हें किसी ने डायरेक्टर रामेश्वर शर्मा के बारे में बताते हुए कहा कि वह भक्त कबीर पर फिल्म बना रहे हैं वहां कुछ हो सकता है।
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इसके बाद भारत रामेश्वर के स्टूडियो पहुंचे लेकिन वे वहां नहीं थे। उन्हें पता चला कि फिल्म की कास्ट पूरी हो चुकी है, सिर्फ काशी नरेश का छोटा सा रोल बचा है। भारत भूषण एक बार फिर निराश हो गए और हताश होकर लौटने लगे। तभी डायरेक्टर रामेश्वर शर्मा वहां पहुंच गए उन्होंने निराश भारत को देखा और कैबिन में बुला लिया। भारत भूषण से बात कर रामेश्वर काफी इम्प्रेस हुए।
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उन्होंने भारत भूषण को 60 रुपये प्रतिमाह की नौकरी के साथ काशी नरेश का रोल दे दिया। 60 रुपये की नौकरी पाकर मानों भारत भूषण की किस्मत बदल गई थी। यह सैलरी स्ट्रगल के दिनों में राहत की तरह थी। इस तरह भारत भूषण को साल 1942 में रिलीज हुई फिल्म भक्त कबीर में पहला रोल मिला था।