आयुष्मान कुछ समय से यह भाषा सीखना चाहते थे और अब वे लगभग 2 महीने के लिए लखनऊ में हैं, तो अपने इस सपने को सच कर रहे हैं। लखनऊ वह शहर है जहां उर्दू बोली जाती है और सबसे अधिक सराही जाती है।
आयुष्मान ने कहा, ‘मेरे दादाजी शानदार उर्दू जानते थे और वे इस बात पर जोर देते थे कि मैं यह भाषा सीखूं। तब मैं एक बच्चा ही था और मुझे दुख है कि मैं तब यह भाषा नहीं सीख पाया। अब मेरे दादाजी नहीं हैं और मुझे अफसोस है कि मैंने उनसे उर्दू नहीं सीखी।’
उन्होंने कहा,’ एक भाषा के रूप में उर्दू ने इतने वर्षों में मुझ पर और भी प्रभाव डाला है और मैं धाराप्रवाह उर्दू बोलना और लिखना चाहता हूं, क्योंकि मुझे कविता कहना पसंद है। इसलिए, चूंकि मैं अब लखनऊ में हूं, इसलिए मैं यह सुनिश्चित कर रहा हूं कि मैं यहां के बहुत अच्छे कोचों में से एक से उर्दू सीखूं। यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है और मुझे यकीन है कि यह मुझे एक बेहतर कलाकार और कवि बना देगा।’