कश्मीर में लोगों की हत्याएं और दहशत फैलाने का काम 1989 से ही शुरू हो था। बिट्टा कराटे उर्फ फारूक अहमद डार उस वक्त घाटी में दहशत का दूसरा नाम बन गया था। वह कश्मीरी पंडितों को खोज-खोजकर मारता था। इस फिल्म के मुख्य किरदारों में एक नाम अनुपम खेर का भी है। उन्होंने ये फिल्म अपनी माँ दुलारी के साथ बैठकर देखी और बाद में उनकी जो प्रतिक्रिया रिकॉर्ड की, वो वाकई झकझोरने वाली है।
वैसे तो अनुपम खेर ने भी लिखा है, “माँ कश्मीरी फाइल्स देखने के बाद बहुत लंबे समय के लिए चुप हो गई थीं मैंने उन्हें गले लगाया और जब अलविदा कहा तो वह प्यार से बोलीं, ‘अच्छा काम किया तूने इस फिल्म में। ये तेरा फर्ज था। दुनिया भर में रह रहे कश्मीरियों के लिए’।” अभिनेता के मुताबिक उनकी माँ की कही बात वाकई सच है। ये प्रोजेक्ट उनके लिए एक फिल्म से बढ़कर था। ट्वीट के साथ शेयर वीडियो में जब अनुपम खेर ने अपनी माँ दुलारी से पूछा कि उन्हें फिल्म कैसी लगी तो उन्होंने बेहद गंभीर होकर कहा, “मुझे सब पता ही है वहाँ का तो मुझे वही दिखा जो किया गया है। हम 30 साल से यही देख रहे हैं कि उस समय जो बच्चा हुआ वो आज 30-32 साल का है। मेरे भाइयों को चिट्ठियाँ दी गईं कि निकल जाओ। बेचारे नना जी ने मकान बनाया था वो बेचारा इसी में मर भी गया। मेरा भाई शाम को ऑफिस से आया और दरवाजे पर चिट्ठी थी कि आज आपकी बारी है। वो लोग रामबाग में रहते थे तो रात में निकलें। जो ट्रक रात में चलते थे वे उसी में बैठकर निकल गए। उनके बच्चे दिल्ली में पढ़ रहे थे। उन्हें एक ग्लास पानी भी नहीं मिला।”
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