बॉलीवुड

अब अंकित तिवारी ने गाया ‘वंदे मातरम्’, Lata और Rahman का वर्जन ही बेजोड़

आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह (1997) के मौके पर जारी ए.आर.रहमान ( AR Rahman ) के ‘वंदे मातरम्’ ( Vande Mataram ) के आगे यह संस्करण कहीं नहीं ठहरता। रहमान की आवाज और धुन में जो जोश है, जो उमंग तथा खुलापन है, अंकित तिवारी ( Ankit Tiwari ) के गायन में महसूस नहीं होता।

Aug 10, 2020 / 03:35 pm

पवन राणा

अब अंकित तिवारी ने गाया ‘वंदे मातरम्’, Lata और Rahman का वर्जन ही बेजोड़

-दिनेश ठाकुर

आजादी की सालगिरह से पांच दिन पहले राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ ( Vande Mataram ) का एक नया संस्करण सामने आया है। इसे ‘सुन रहा है न तू’ (आशिकी 2), ‘कुछ तो हुआ है’ (सिंघम रिटन्र्स) और ‘दिल दर-ब-दर’ (पीके) जैसे गानों के गायक अंकित तिवारी ने तैयार किया है। उन्होंने जोर तो काफी लगाया, लेकिन आजादी के स्वर्ण जयंती समारोह (1997) के मौके पर जारी ए.आर.रहमान ( AR Rahman ) के ‘वंदे मातरम्’ के आगे यह संस्करण कहीं नहीं ठहरता। रहमान की आवाज और धुन में जो जोश है, जो उमंग तथा खुलापन है, अंकित तिवारी ( Ankit Tiwari ) के गायन में महसूस नहीं होता। भारतीय जनमानस में सालों से रची-बसी ‘वंदे मातरम्’ की ऋचाओं को रहमान ने नई गूंज के साथ बुलंदी पर पहुंचाया और इसे नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय कर दिया। रहमान और अंकित तिवारी के संस्करण में वहीं फर्क है, जो सोने तथा पीतल में हुआ करता है।

ए.आर. रहमान के संस्करण से पहले ‘वंदे मातरम्’ की आत्मा लता मंगेशकर ( Lata Mangeshkar ) की आवाज पाकर धन्य हो गई थी। लता जी ने इसे पृथ्वीराज कपूर, गीता बाली, भारत भूषण और प्रदीप कुमार की फिल्म ‘आनंद मठ’ (1952) के लिए गाया था। इसकी धुन हेमंत कुमार ने बनाई थी। बतौर संगीतकार यह उनकी पहली हिन्दी फिल्म थी। फिल्म में ‘वंदे मातरम्’ उनकी आवाज में भी है। करीब 17 साल पहले किए गए अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में लता मंगेशकर की आवाज वाला ‘वंदे मातरम्’ दुनिया के दस बेहतरीन गीतों में दूसरी पायदान पर रहा था। आयरलैंड की आजादी का गीत ‘ए नेशन वंस अगेन’ पहले नंबर पर था। ‘वंदे मातरम्’ बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यास ‘आनंद मठ’ (1882) में रचा था। 1952 की फिल्म इसी उपन्यास पर आधारित थी।

आजादी के लिए लम्बी लड़ाई के दौरान ‘वंदे मातरम्’ मशाल की तरह प्रज्ज्वलित हुआ और देशभक्तों के लिए आरती बन गया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर को इस गीत का पहला गायक माना जाता है। उन्होंने 1896 में कोलकाता में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरुआत ‘वंदे मातरम्’ गाकर की थी। स्वाधीनता संग्राम में इस गीत की गूंज से तिलमिलाई ब्रिटिश हुकूमत ने इस पर रोक लगा दी। जो भी इसे गाता, जेल में डाल दिया जाता। लेकिन जेल की दीवारें भी ‘वंदे मातरम्’ की गूंज से हिलती रहीं। उसी दौर में किसी ने लिखा था- ‘संतरी बेचैन-सा है,जबकि हर झंकार से/ बोलती है जेल से जंजीर वंदे मातरम्/ हाकिमों को है उधर बंदूक पर अपनी गुरूर/ है इधर हम बेकसों का तीर ‘वंदे मातरम्।’

Hindi News / Entertainment / Bollywood / अब अंकित तिवारी ने गाया ‘वंदे मातरम्’, Lata और Rahman का वर्जन ही बेजोड़

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.