अभिनेता ने कहा, ‘मुझे इस बड़े अभियान में दिलचस्पी थी कि भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित अन्य संगठन इससे निपटने के प्रयास कर रहे हैं। मेरे परिवार के डॉक्टर और उनके अन्य डॉक्टर दोस्तों ने मुझसे मुलाकात की और मुझे इस बारे में अवगत कराया कि इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं जिस तरह से भी सहमत हो सकता था, तुरंत सहमत हो गया। दो चीजें थीं, जिन्होंने मुझे आकर्षित किया। पहली यह कि हेपेटाइटिस-बी के बारे में जानकारी का प्रसार करना..ज्यादातर लोग इस बीमारी के बारे में नहीं जानते, लेकिन यह जीवन के लिए खतरा है, इसलिए मुझे लगा कि भारत के नागरिक के रूप में इसके बारे में जागरूकता फैलाना मेरा कर्तव्य है।’
उन्होंने जब बीमारियों के खिलाफ लड़ने की बात आती है तो महिलाओं के प्रति भेदभाव को देखकर उन्हें दुख होता है। अमिताभ ने कहा, ‘दूसरी बात जिसने मुझे हैरान और आहत किया, वह यह था कि विशेष रूप से महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाना.. यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे ऐसी कहानियों के बारे में पता चला है जहां हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित विवाहित महिलाओं को घर से बाहर निकाल दिया जाता है।’
अभिनेता ने कहा, ‘महिलाएं देश की ताकत का आधा हिस्सा हैं। वे हमारे देश की ताकत हैं, इसलिए उनके साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करना चाहिए, जिसकी वे हकदार हैं। अगर हम उनके साथ इसलिए भेदभाव करना शुरू कर देते हैं कि वे एक विशेष बीमारी से पीड़ित हैं तो फिर यह स्वीकार्य नहीं है और मैं इसके लिए तब तक लड़ूंगा जब तक कि मैं जीवित हूं।’ अपने बारे में उन्होंने बताया कि वह आज तपेदिक से मुक्त हैं, क्योंकि इस बीमारी का सही समय पर पता चल गया और उनका सही समय पर इलाज हो गया।