कान के पास से गुजरी गोली
अमिताभ ने बताया था कि ‘जब हम शोले के सेट पर शूटिंग कर रहे थे, तब धरम जी एक पहाड़ी के नीचे खड़े थे और मैं पहाड़ी की चोटी पर था। धरम जी ने एक संदूक खोली और गोला बारूद उठाए। उन्होंने एक बार फिर प्रयास किया, लेकिन गोलियां फिर भी नहीं उठा पाए। इससे धरम जी बहुत चिढ़ गए। मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या किया, उन्होंने बंदूक में कारतूस डाल दिया। वे असली गोलियां थीं। उन्हें सही शॉट न मिलने से इतनी चिढ़ हुई कि उन्होंने गोली चला दी। मैंने एक ‘हुस्स’ की आवाज सुनी, क्योंकि जब मैं पहाड़ी पर खड़ा था तो गोली मेरे कान के पास से गुजरी थी। उसने असली गोली चलाई थी। मैं बच गया। फिल्म के दौरान ऐसी कई घटनाएं हुई थीं और ‘शोले’ वास्तव में एक विशेष फिल्म थी।’
गौरतलब है कि रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ ने 46 साल पूरे कर लिए हैं। डाकुओं के आतंक और बदले के फार्मूले वाली यह क्लासिक फिल्म 15 अगस्त, 1975 को सिनेमाघरों में उतारी गई थी। सिनेमाघरों के बाद ‘शोले’ वीडियो और सीडी बाजार में छाई रही। अब यह इंटरनेट पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्मों में शामिल है। इसके निर्माता जी.पी. सिप्पी ने एक बार कहा था कि दुनियाभर में जितने लोग ‘शोले’ देख चुके हैं, उनका आंकड़ा जुटाया जाए तो यह शायद भारत की आबादी से भी ज्यादा होगा।