शख्स ने कहा था कि ‘फिल्म के पोस्टर में स्टंट सीन दिखाए गए थे, जिसको देखकर ही वो फिल्म देखने गया था, लेकिन फिल्म में ऐसा कोई सीन नहीं आया, जिसके चलते वो काफी आहात हो गया’, जिसके बाद शख्स ने इसके लिए लव फिल्मस प्रोडक्शन के अलावा अजय देवगन और अजमेर के माया मंदिर सिनेमा को गलत पोस्टर दिखाने के लिए जिम्मेदार बताया था और इसके साथ ही उन्होंने गलत बिजनेस के तरीके और उससे पहुंची मानसिक हानि के लिए 4 लाख 51 हजार रुपए और कंप्लेंट के खर्च के 11 हजार दिलाने की मांग की थी.
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वहीं इस पूरे मामले पर अजय देवगन ने अपना तर्क भी रखा. नोटिस मिलने के बाद अजय देवगन ने अपना तर्क देते हुए कहा था कि ‘उन्होंने फिल्म में केवल एक्टिंग की है. फिल्म के प्रमोशन के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं’. साथ ही एक्टर ने अपने वकीलों के जरिए केज्यूमर फोरम में एक एप्लिकेशन दी और मामले को खारिज करने के लिए कहा था. वहीं सोमवार को अजमेर कंज्यूमर कोर्ट ने दोनों ओर के तर्क सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘अजय देवगन बस एक एक्टर हैं. फिल्म में कौन सा सीन रखना है कौन सा नहीं, किस तरह के पोस्टर लगाने है, कौन सा एड देना है, इन सब बातों से एक्टर का कोई लेना देना नहीं होता’. कोर्ट ने अजय देवगन के खिलाफ लगाए गए मामले को हटाए जाने के आदेश जारी कर दिया. वहीं अजय देवगन ने हाल में अपने एक इंटरव्यू के दौरान ‘दे दे प्यार दे’ के सीक्वल पर बात करते हुए बताया था कि ‘फिल्म की कहानी लिखी जा रही है. जैसे ही यह पूरी हो जाती है. वो शूटिंग प्लान पर काम करना शुरू कर देंगे’. बता दें कि फिल्म के सीक्वल में इस बार अजय देवगन नहीं बल्कि रकुलप्रीत सिंह की फैमिली की कहानी दिखने को मिलेगी. साथ ही फिल्म में अजय देवगन ने एक मिडिल एज पर्सन का किरदार निभाया था, जिसे अपने से आधी उम्र की लड़की से प्यार हो जाता है.