सोशल मीडिया पर कुछ लोग द कश्मीर फाइल्स की आलोचना भी कर रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इन आलोचनाओं का जवाब भी दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा यदि भारत हैदर और मिशन कश्मीर जैसी फिल्म को बर्दाश्त करने के साथ तारीफ कर सकता है तो हमें द कश्मीर फाइल्स के साथ भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
आपको बता दें एक यूजर ने लिखा कि द कश्मीर फाइल्स ने फ्लडगेट खोल दिए हैं। मेरी एक रिश्तेदार ने फिल्म देखने के बाद पहली बार फोन किया। फिल्म देखने के बाद उनके आंसू निकल पड़े। उस बुजुर्ग महिला ने कहा कि 1990 में कश्मीर में उनके और उनके पति के साथ जो कुछ भी हुआ था वह उस बारे में बात करना चाहती हैं। वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि 32 साल बाद भी वो भावनाएं और दर्द बिल्कुल पहले जैसे ही हैं। आखिरकार किसी में तो सच्ची कहानी दिखाने की हिम्मत है।
तो वही अन्य ने लिखा जो 1990 में हुआ उसकी पुनरावृति न हो, हिन्दू समाज को सजग रहना होगा। फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को काफी अच्छे तरीके से दर्शाया गया है। इसमें कई दृश्य ऐसे हैं जिसे देख भावुक हो गया। युवा पीढ़ी इस फिल्म को जरूर देखे।