स्मिता पाटिल परिवार
स्मिता के पिता महाराष्ट्र के मंत्री थे। वह एक बड़े घराने से ताल्लुक रखती थीं। कहा जाता है कि स्मिता की मां विद्या ताई ने उनका नाम उनकी मुस्कान देखकर रखा था। जो आगे चलकर लोगों के आकर्षक होने का कारण भी बनी। बड़े घर संंबंध रखने के बावजूद भी स्मिता साधारण लड़कियों की तरह ही रहती थीं। कहते हैं बड़े पर्दे पर सहज और गंभीर दिखाई देने वाली स्मिता असल जिंदगी में काफी शरारती थीं।
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पहली फिल्म‘चरणदास चोर’ फिल्म से स्मिता पाटिल ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। निर्देशक श्याम बेनेगल ने अपने एक लेख में बताया था कि जब वह फिल्म ‘मंथन’ शूटिंग के दौरान जब स्मिता सेट पर आती थीं। वह जमीन पर ही बैठ जाती थीं। जब लोग शूटिंग देखने आते थे। तो वह सबसे पूछते थे फिल्म की हिरोइन कौन है? कोई पहचान ही नहीं पाते था कि जमीन पर बैठी हुई लड़की फिल्म की एक्ट्रेस है। स्मिता ने उस गांव की लड़की का किरदार खुद में पूरी तरह से ढाल लिया था।
राज बब्बर संग रिश्ता
फिल्म ‘भीगी पलकें’ की शूटिंग सेट से राज और स्मिता की लव स्टोरी शुरू हुई थी। राज बब्बर पहले से ही शादीशुदा था। उनका विवाह नादिरा से हुआ था। लेकिन स्मिता के प्यार में दीवाने राज ने पहली पत्नी को छोड़कर स्मिता संग रहने का फैसला लिया। वहीं राज बब्बर संग रहने के फैसले ने स्मिता और उनकी मां के रिश्तों के बीच भी कड़वाहट ला दी थी। राज और स्मिता का रिश्ता जैसे-जैसे आगे बढ़ता वैसे-वैसे दोनों के बीच मतभेद शुरू हो गए। ऐसा कहा जाता है कि स्मिता को उनके पलों में भी वह खुशी नहीं मिली। जो वह चाहती थीं। स्मिता के देहांत के बाद राज बब्बर अपनी पहली पत्नी नादिरा के पास वापस लौट गए थे।
स्मिता पाटिल ब्रेन इन्फेक्शन
लेखिका मैथिली राव ने स्मिता पाटिल की जीवनी लिखी है। उसमें उन्होंने बताया है कि अभिनेत्री ने जब बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म दिया ता। उस दौरान वह घर आ गई थीं। उनकी हालत काफी खराब होती जा रही थी,लेकिन वह प्रतीक संग वक्त बीताना चाहती थीं। इसलिए वापस अस्पताल नहीं जाना चाहती थीं। इन्फेक्शन जब बढ़ गया तो उन्होंने जसलोक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जिसके बाद स्मिता के शरीर के अंग एक के बाद एक खराब होने लग गए।
दुल्हन की तरह सजाया गया था।
मैथिली राव ने अपनी किताब में बताया है कि स्मिता ने अमिताभ बच्चन और राज कुमार संग काफी काम किया है। शूटिंग सेट पर अक्सर राज कुमार लेट कर ही अपना मेकअप कराया करते थे। स्मिता भी अपने मेकअप मैन से ठीक वैसे ही मेकअप करने को कहते थे, लेकिन उनका मेकअप आर्टिस्ट हमेशा यही कहता था कि लेट कर मेकअप करते हुए ऐसा लगेगा कि किसी मुर्दे को मेकअप किया जा रहा है।
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तब स्मिता ने कहा था कि जब वह मर जाएंगाी तो उन्हें सुहागन की तरह ही तैयार किया जाए। 13 दिसंबर 1986 में स्मिता ने दुनिया को अलिवदा कह दिया। उनका मेकअप आर्टिस्ट उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उनके घर पहुंचे। जहां उन्होंने उनकी इच्छा पूरी करते हुए उनके शव को दुल्हन की तरह सजाते हुए विदा किया। जिस समय स्मिता का निधन हुआ । उस वक्त प्रतीक बब्बर महज 15 दिनों का थे।