साल 1916 में जन्मीं ललिता पवार का असली नाम अंबा लक्ष्मण राव शगुन था। साल 1928 में उन्होंने साइलेंट फिल्म राजा हरीशचंद्र से अपने करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म के लिए उन्हें 18 रुपए दिए गए थे।
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ललिता बचपन से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थीं, लेकिन एक हादसे ने उनकी जिंदगी पलटकर रख दी थी। 1942 में ललिता फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के एक सीन की शूटिंग कर रही थीं। एक सीन के दौरान एक्टर भगवान दादा को ललिता को थप्पड़ मारना था। भगवान दादा ने ललिता को इतनी जोर से चांटा मार दिया कि उनके कान से खून बहने लगा और कान का पर्दा फट गया। इलाज के दौरान डाक्टर द्वारा दी गई किसी गलत दवा के नतीजे में ललिता पवार के शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया। लकवे की वजह से उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और खराब हो गई। इसके चलते चेहरा खराब हो गया। इस घटना के बाद ललिता पवार को काम मिलना बंद हो गया, लेकिन वो जुटी रहीं और हार नहीं मानी। 1948 में फिल्म ‘गृहस्थी’ से एक बार फिर वापसी की।