मौजूदा दौर में चाहे वह कितना ही बड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर का गायक क्यों न हो , जब लता मंगेशकर से मिलता है तो उनके चरणों में बैठकर खुद को धन्य पाता है । लता मंगेशकर , जिन्होंने अपने 6 दशक से ज्यादा समय के फिल्मी संगीत के करियर में उन बुलंदियों को छुआ , जो उनके जमाने में किसी महिला को मिलना अपने आप में खास बात हुआ करती थी । चलिए इस आलेख में हम आपको बताते हैं उनके जीवन के कुछ अहम पहलुओं से जिनके बारे में आपने कुछ कुछ सुना तो होगा , लेकिन विस्तार से नहीं जाना होगा ।
पिता ने रखा था हेमा नाम , बाद में बदला
सबसे पहले बात करते हैं लता मंगेशकर के प्रारंभिक जीवन से जुड़े एक तथ्य से । असल में 28 सितंबर 1929 को इंदौर के मराठी परिवार में पंडित दीनदयाल मंगेशकर के घर जन्मी इस बच्ची का नाम उनके पिता ने हेमा रखा । लेकिन पांच साल की उम्र होने पर उनके पिता ने उनका नाम बदलकर लता रख दिया।
…इसलिए कभी नहीं गईं स्कूल लता दीदी की शिक्षा के बारे में एक घटनाक्रम है , जो बड़ा रोचक है । असल में लता मंगेशकर महज एक दिन के लिए ही स्कूल गई थी। इसका कारण यह रहा कि अपने स्कूल जाने के पहले दिन वह अपने साथ अपनी बहन और मशहूर सिंगर आशा भोसले को अपने साथ स्कूल ले गई । इस पर अध्यापक ने आशा भोसले को यह कहकर स्कूल से निकाल दिया कि उन्हें भी स्कूल की फीस देनी होगी । इस घटना से लता मंगेशकर इतना आहत हुई कि उन्होंने निर्णय लिया कि अब वह कभी स्कूल नहीं जाएंगी । हालांकि बाद में उन्हें न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित छह विश्वविद्यालयों में मानक उपाधि से नवाजा गया।
...इसलिए मोहम्मद रफी से अनबन लता मंगेशकर को लेकर एक बात बहुत ज्यादा चर्चा में रहती है कि उनकी एक बार उनके सहकर्मी और मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी के साथ बोलचाल बंद हो गई थी । तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर वह क्या कारण था जिसके चलते दोनों दिग्गजों ने काफी समय तक एक दूसरे से बात नहीं की। असल में एक समय ऐसा था कि जब लता मंगेशकर गानों पर रॉयल्टी की पक्षधर थीं, जबकि मोहममद रफी ने कभी भी रॉयल्टी की मांग नहीं की। उनके इस कदम से सभी गायकों को धक्का पहुंचा। लता और मुकेश ने रफी को बुलाकर समझाना चाहा लेकिन मामला उलझता ही चला गया। दोनों का विवाद इतना बढ़ा कि मोहम्मद रफी और लता के बीच बातचीत भी बंद हो गई और दोनों ने एक साथ गीत गाने से इंकार कर दिया था। हालांकि चार वर्ष के बाद अभिनेत्री नरगिस के प्रयास से दोनों ने एक साथ एक कार्यक्रम में ‘दिल पुकारे, आ रे आरे आरे , अभी न जा मेरे साथी …’ गीत गाया।
आखिर कौन दे रहा था स्लो प्वाइजन लता मंगेशकर को एक बड़ा खुलासा उनकी बेहद करीबी पदमा सचदेव ने अपनी किताब ‘Aisa Kahan Se Lauen’ में किया था । उन्होंने अपनी किताब में जिक्र किया कि वर्ष 1962 में लता को , जब वह 32 साल की थी , तो उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया जा रहा था । हालांकि इस मामले में कभी खुलासा नहीं हो सका कि आखिर उन्हें मारने की कोशिश किसने की । वे कौन लोग थे जो लता मंगेशकर को मारने की साजिश रच रहे थे ।
हालांकि उनकी शादी को लेकर उस समय की मीडिया में कुछ खबरें प्रकाशित हुई, जिसके अनुसार बात कुछ और भी थी । असल में राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह डूंगरपुर की दोस्ती लता मंगेशकर से हुई । असल में राजसिंह की दोस्ती लता के भाई से थी , वे दोनों साथ में क्रिकेट खेला करते थे । अपनी पढ़ाई के लिए राजसिंह मुंबई गए , जहां उनकी दोबारा लता मंगेशकर से मुलाकात हुई । लता के भाई से मिलने कई बार राज सिंह अकसर उनके घर जाते थे । समय के साथ उनकी लता मंगेशकर से दोस्ती हो गई । हालांकि दोनों की शादी नहीं हो सकी । इसके पीछे कारण था राज सिंह का अपने पिता को दिया एक वचन , जिसमें उन्होंने किसी आम लड़की को राजघराने की बहु नहीं बनाने की बात कही थी । इस कारण उनकी शादी नहीं हुई । शायद यही कारण रहा कि दोनों ने अपनी पूरी जिंदगी किसी दूसरे से शादी नहीं की , हालांकि दोनों की दोस्ती रही ।
किशोर दा से मुलाकात का रोचक किस्सा लता दीदी ने अपने करियर में कई मशहूर गाने किशोर कुमार के साथ मिलकर गाए । इन दोनों दिग्गज गायकों की पहली मुलाकात का किस्सा भी बड़ा अजीब रहा है , जिसकी चर्चा यहां किए बिना इस आलेख को पूरा नहीं माना जाएगा । असल में 40 के दशक में लता मंगेशकर ने फिल्मों में गाना शुरू किया था। तब वो लोकल ट्रेन पकड़कर स्टूडियो पहुंचती थीं। उन्हीं के शब्दों में किशोर कुमार से मेरी मुलाकात उस समय हुई थी, जब मैं संगीतकार खेमचंद प्रकाशजी के साथ काम कर रही थी। मैं ग्रांट रोड से मालाड तक ट्रेन से जाती थी। एक दिन किशोर दा महालक्ष्मी स्टेशन (जो कि ग्रांट रोड के बाद का स्टेशन था) से लोकल ट्रेन में मेरे कंपार्टमेंट में चढ़े। मुझे लगा कि मैं इन्हें पहचानती तो हूं, मगर कौन हैं। वह कुर्ता-पायजामा पहने थे। गले में स्कार्फ बांधे और हाथ में एक छड़ी थी। स्टेशन से बांबे टॉकीज का ऑफिस दूर था। मैं कभी पैदल तो कभी तांगा लेती थी। उस दिन तांगा लिया।’ ‘मैंने देखा कि उनका तांगा मेरे पीछे था। मुझे लगा कि कुछ असामान्य हो रहा है। वह व्यक्ति मेरे पीछे आ रहा था। मैं सीधे रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंची। जहां संगीतकार खेमचंद प्रकाश बैठे हुए थे। मैंने हाफंते हुए पूछा वह लड़का कौन है? वो मेरा पीछा कर रहा है। खेमचंदजी ने किशोर कुमार को देखा और हंसते हुए कहा कि यह किशोर कुमार हैं अभिनेता अशोक कुमार के भाई।
इसके बाद उन्होंने हम दोनों का परिचय करवाया । इसके बाद हमने अपना पहला युगल गाना फिल्म ‘जिद्दी’ के लिए ‘ये कौन आया रे करके सोलह सिंगार’ रिकॉर्ड किया। प्लेबैक सिंगर के रूप में ‘जिद्दी’ किशोर दा की पहली फिल्म थी। यह फिल्म इसलिए प्रसिद्ध हुई थी, क्योंकि इससे देव आनंद स्टार बने थे। देव साहब के लिए किशोर कुमार ने बहुत सारी फिल्मों में गाना गाया था।’
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