जद्दनबाई (Jaddanbai) जिनकी बेटी नरगिस दत्त (Nargis Dutt) बॉलीवुड की सबसे उम्दा एक्ट्रेसेस में से एक रहीं ।
बॉलीवुड के दमदार एक्टर संजय दत्त और उनके परिवार के बारे मे कौन नहीं जानता? उनके पिता सुनील दत्त और मां नरगिस दत्त अपने जमाने के टॉप के स्टार रह चुके हैं। दोनों ही अपने दमदार एक्टिंग के लिए फेमस थे। नरगिस सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि अपनी खूबसूरती के लिए भी बॉलीवुड पर राज करती थी।
लेकिन खूबसूरती के मामले में नरगिस की मां भी कुछ कम नहीं थीं लेकिन नरगिस की मां एक तवायफ थी शायद आपको ये बात पता ना हो। चलिए आज उन्हीं के बारे में आपको बताते हैं।
कोलकाता में जन्मी नरगिस का पालन-पोषण एक कोठे में हुआ था। उनकी मां एक ऐसी तवायफ थी जिनके गाने सुनने का शौक, मुगलों की शान हुआ करता था और एक कोठे से ही भारत को पहली महिला संगीतकार भी मिलीं थीं। उस समय तवायफ के पेशे से भी ज्यादा बुरा लड़कियों का फिल्मों में काम करना माना जाता था।
जद्दन बाई के नाती है संजय दत्त
तब एक कोठे पर गाने वाली ही भारत की पहली फीमेल म्यूजिक डायरेक्टर बनी और वो कोई और नहीं बल्कि नरगिस की मां जद्दनबाई थी। उसी जद्दन बाई के नाती है संजय दत्त। संजय दत्त की नानी इतनी खूबसूरत और आवाज की जादूगर थी कि उनसे शादी करने के लिए दो ब्राह्मणों ने इस्लाम कबूला था। जद्दनबाई, खुद अपनी मां की बदौलत ही तवायफ बनी थीं।
जद्दनबाई (Jaddanbai) जिनकी बेटी नरगिस दत्त (Nargis Dutt) बॉलीवुड की सबसे उम्दा एक्ट्रेसेस में से एक रहीं और नाती संजय दत्त (Sanjay Dutt) भी बड़े स्टार हैं।
जानें कौन हैं दलीपाबाई जिन्हें कोठे में बेच दिया गया
बात है 1892 के गुलाम भारत की, जब इलाहाबाद के कोठे की मशहूर तवायफ दलीपाबाई के घर जद्दनबाई का जन्म हुआ। मां के नक्शेकदम पर जद्दनबाई भी ठुमरी और गजलें सुनाने लगीं। इनकी आवाज की दीवानगी ऐसी थी कि इन्हें सुनने आए दो ब्राह्मण परिवार के नौजवानों ने इनसे शादी करने के लिए परिवार छोड़कर इस्लाम कबूल कर लिया।
दलीपाबाई गांव पहुंचे लोगों के बहकावे में आकर इलाहाबाद भाग आईं, लेकिन उन लोगों ने दलीपाबाई को कोठे में बेच दिया। यहां उनकी शादी सारंगी वादक मियां जान से हुई जिनसे उन्हें एक बेटी जद्दनबाई हुई। जब गायकी में उतरीं तो जद्दनबाई को मां से भी बेहतरीन तवायफ का दर्जा मिल गया। इन्हें सुनने पहुंचे ब्राह्मण परिवार के नरोत्तम ने इनसे शादी करने के लिए इस्लाम कबूला जिससे इन्हें एक बेटा अख्तर हुसैन हुआ।
चंद सालों में ही नरोत्तम इन्हें छोड़ कर चला गया और कभी लौटा ही नहीं। सालों बाद कोठे में ही हार्मोनियम बजाने वाले उस्ताद इरशाद मीर ने इनसे शादी कर ली जिनसे इन्हें दूसरा बेटा अनवर खान हुआ। दूसरी शादी भी टूट गई।
मोहनबाबू ने अब्दुल रशीद बनकर जद्दनबाई से शादी की
ये कहना गलत नहीं होगा कि लोग एक नजर में इनके दीवाने हो जाया करते थे। यही हाल हुआ लखनऊ के रईस मोहनबाबू का जो निकले तो लंदन के लिए थे लेकिन जद्दनबाई से मिलकर वो सबकुछ छोड़ बेठे। मोहनबाबू ने अब्दुल रशीद बनकर जद्दनबाई से शादी की जिससे इन्हें एक बेटी नरगिस हुई। जद्दनबाई भी कोठे से निकलकर संगीत के उस्तादों से संगीत सीखने पहुंच गई। इनकी गाई गजलों को यूके की म्यूजिक कंपनी रिकॉर्ड करके ले जाया करती थी। ब्रिटिश शासक इन्हें महफिलों में बुलाया करते थे। रेडियो स्टेशन में जद्दनबाई की आवाज देशभर के लोगों को दीवाना कर रही थी। पॉपुलैरिटी बढ़ी तो इन्हें लाहौर की फोटोटोन कंपनी की फिल्म राजा गोपीचंद में काम मिला।
चंद फिल्मों में इन्होंने अभिनय भी किया और बाद में ये परिवार के साथ सपनों के शहर मुंबई पहुंच गईं, जहां बड़े स्तर पर फिल्में बन रही थीं। यहां उन्होंने खुद की प्रोडक्शन कंपनी संगीत फिल्म शुरू की और तलाश-ए-हक फिल्म बनाई। इसी फिल्म में जद्दनबाई ने अभिनय करने के साथ म्यूजिक कंपोज भी किया।
इतिहास में ये पहली बार था जब कोई महिला म्यूजिक कंपोज कर रही थी। 1935 की इस फिल्म में उन्होंने 6 साल की बेटी नरगिस को कास्ट किया। प्रोडक्शन कंपनी से कर्ज उतारने के लिए ये लगातार नरगिस को फिल्मों में लेने लगीं। 1940 तक जद्दनबाई की प्रोडक्शन कंपनी भारी नुकसान में जाने से बंद हो गई। जद्दनबाई ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। आखिरकार 8 अप्रैल 1949 को जद्दनबाई कैंसर से लड़ते हुए दुनिया से रुख्सत हो गईं।
नरगिस को 14 साल में मिली फिल्मों में पहचान
नरगिस को 14 साल की उम्र में तकदीर फिल्म से पहचान मिली। वह अपनी बेटी नरगिस को सुपरस्टार बनते देखे लेकिन अफसोस ये सपना उनका पूरा नहीं हो पाया। नरगिस सुपरस्टार हीरोइन बनी और उन्होंने सुनील दत्त से शादी की। साल 1981 में नरगिस की मौत भी कैंसर से हुई और उन्हें भी अपनी मां जद्दनबाई की कब्र के पास ही दफनाया गया। यह थी मां बेटी के स्ट्रगलिंग लाइफ की खूबसूरत कहानी। आपको हमारा ये पैकेज कैसा लगा हमें बताना ना भूलें।