सच : अस्पताल जाने से पहले हल्का भोजन ही करें वर्ना गर्भवती महिला को उल्टी हो सकती है और खाना सांस की नली में फंस सकता है।
सच : गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में पपीता नहीं खाना चाहिए, इसके बाद पपीता खाया जा सकता है। भ्रम : इस दौरान महिला को करवट से लेटना चाहिए?
सच : गर्भवती महिला के बाईं करवट लेटने से बच्चे का ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और विकास होता है।
सच : यह धारणा बिल्कुल गलत है। प्रेग्नेंसी में महिला का पेट बच्चे की ग्रोथ पर निर्भर करता है, इसका बच्चे का लड़का या लड़की हाेने से कोई लेना-देना नहीं होता। कई बार मोटापे से ग्रसित महिलाओंं का पेट भी इस दौरान काफी बढ़ जाता है।
सच : इस दौरान शरीर में कई हार्माेनल बदलाव आते हैं, जिस वजह से महिला को थकान या नींद ज्यादा आती है, इसका लड़के या लड़की होने से कोई संबंध नहीं होता।
सच : कई बार जब प्री मैच्योर बेबी होता है तो उस पर एक सफेद परत होती है जिसे लोग दही समझ लेते हैं। दरअसल गर्भ में बच्चे की सुरक्षा के लिए उसके चारों ओर एक सफेद परत होती है, जैसे-जैसे बच्चे का विकास होता जाता है यह परत हटती जाती है।
सच : गर्भवती महिला के नारियल खाने से बच्चे का रंग तो प्रभावित नहीं होता लेकिन इससे बच्चे का विकास जरूर होता है क्योंकि नारियल में साइटोक्राइंस होते हैं।
सच : घी खाने का डिलीवरी से कोई संबंध नहीं है। हां, घी खाने से ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसलिए गर्भावस्था में संतुलित मात्रा में ही घी खाएं।
सच : डिलीवरी के दौरान शरीर से रक्त निकलने से पानी की कमी हो जाती है इसलिए खूब पानी पीएं वर्ना कब्ज की समस्या हो सकती है और अगर डिलीवरी में टांके या घाव हुआ है तो उन पर दबाव पड़ता है।
सच : शुरुआत के 48 घंटे का गाढ़ा-पीला दूध कोलस्ट्रम होता है जो बच्चे के लिए काफी पोषक और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है इसलिए प्रसव के बाद स्तनपान जरूर कराएं।
सच : लगातार लेटे रहने से पैरों में खून का थक्का जम जाता है और सूजन आ सकती है। कई बार खून का थक्का फेफड़ों में पहुंचकर घातक हो सकता है, इसलिए प्रसव के बाद सुबह-शाम नियमित सैर करें आप हल्के व्यायाम भी कर सकती हैं।