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प्राकृतिक तरीकाें से एेसे दूर करें डिप्रेशन

ज्यादातर चिकित्सा पद्धति में टैस्ट, दवाओं व सर्जरी के जरिए रोगों का इलाज किया जाता है

Jul 23, 2019 / 03:53 pm

युवराज सिंह

प्राकृतिक तरीकाें से एेसे दूर करें डिप्रेशन

ज्यादातर चिकित्सा पद्धति में टैस्ट, दवाओं व सर्जरी के जरिए रोगों का इलाज किया जाता है। लेकिन कुछ खास थैरेपी व उपायों से भी अवसाद व तनाव को कम कर सकते हैं। जानें एलोपैथी, नेचुरोपैथी व आयुर्वेद में किस तरह रोग के प्रभाव को कम सकते हैं।
प्रमुख थैरेपी
एलोपैथी में साइको थैरेपी के तहत रोग की जड़ समझकर इलाज होता है।
ब्रेन वॉश थैरेपी: इसमें बातचीत के दौरान मरीज की नकारात्मक सोच को सकारात्मकता में बदलते हैं। जिसके लिए रोगी के बचपन, परिवार, नौकरी, सामाजिक जुड़ाव आदि से जुड़े अनुभव को आधार बनाया जाता है।
कॉग्निटिव बिहेवियर थैरेपी : इलाज के लिए यह सबसे ज्यादा उपयोगी है। इसमें सोचने के तरीके और व्यवहार में बदलाव करते हैं।

फैमिली थैरेपी: परिवारजन को समझाते हैं कि वे रोगी की बातों को गंभीरता से लें। ध्यान से सुनें व समझे।
जड़ी-बूटियां कारगर
– पंचकर्म चिकित्सा के तहत शिरोधारा कारगर है। इसमें जड़ी-बूटियां व औषधियों के तेल को माथे पर धार बनाकर डालते हैं।
दो चम्मच ब्राह्मी और अश्वगंधा के चूर्ण को मिलाकर एक गिलास दूध के साथ लेने से फायदा होता है। दिन में दो बार ले सकते हैं।
– गाय के शुद्ध घी को सूंघने या इसकी 1-2 बूंद नाक में डाल सकते हैं।
– जटमांसी की जड़ को पीसकर एक चम्मच की मात्रा को ताजे पानी के साथ ले सकते हैं।
ऊर्जा बिंदुओं का संचार
लाइट थैरेपी: मरीज को थोड़ी देर आंखें बंद कर सूरज की रोशनी या अलग-अलग तरह की रोशनी में बैठने के लिए कहते हैं। नकारात्मक सोच दूर होती है।

मैग्नेट थैरेपी: शरीर पर मौजूद अवसाद और तनाव से जुड़े प्रमुख बिंदुओं पर विभिन्न आकार के चुंबक को रखा जाता है। इनसे ऊर्जा का संचार बेहतर होने से शरीर रिलैक्स होता है।
लेपम: कुछ खास जड़ीबूटियों और औषधियों जैसे पुदीना, ग्वारपाठा, तुलसी को पीसकर लेप के रूप में माथे पर कुछ देर लगाते हैं। ठंडक मिलने के साथ अवसाद और तनाव कम होगा।

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