इलायची, काली मिर्च, मुलैठी और सौंफ को दरदरा कूटकर या पीसकर सिगरेट या बीड़ी के खोल में भरकर स्मोक कर सकते हैं। हालांकि इसका कोई खास फायदा नहीं होता लेकिन इस तरह सिगरेट छोड़ने का मन बना रहे लोगों में इसकी तलब को कम किया जा सकता है। जब भी धूम्रपान की तलब हो तो बारीक सौंफ के साथ मिश्री मिलाकर धीरे-धीरे चूसें, नरम हो जाने पर चबाकर खाएं। अजवाइन, नींबू का रस व काला नमक दो दिन तक भीगने दें। इसे छाया में सुखाकर रख लें और धूम्रपान की बजाय इसे चूसें। छोटी हरड़ को नींबू के रस व सेंधा नमक के घोल में दो दिन तक फूलने दें। इसे निकालकर छाया में सुखाकर शीशी में भर लें। स्मोकिंग का मन करे तो इसे चूसें व नरम हो जाने पर चबाकर खा लें।
धीरे-धीरे तंबाकू खाने की आदत को कम करें क्योंकि रक्त में निकोटिन के स्तर को क्रमश: ही कम किया जाना चाहिए। इसके लिए निकोटिन च्यूइंगम एक बेहतर विकल्प हो सकती है। जब भी सिगरेट या तंबाकू आदि की तलब हो तो इलायची या मुलैठी का प्रयोग कर सकते हैं। मुलैठी को नेचुरल च्यूंइगम माना गया है। यह आंतों में जाकर रक्त में मिलती है तो फेफड़ों से बलगम को निकालकर उन्हें खोलने का काम करती है। इससे सांस संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं।
व्यायाम से भी होगा लाभ –
ऐसी आदतें व्यक्ति तभी छोड़ पाता है जब उसका दिमाग पूरी तरह से स्थिर हो और वह किसी भी प्रकार के तनाव में न हो। इसके लिए प्राणायाम, अनुलोम -विलोम, मेडिटेशन और शवासन करना चाहिए।
होम्योपैथी भी है प्रभावी –
निकोटिन की लत छोड़ने के लिए टेबेटकम, एसिडसल्फ, क्वरक्स और स्प्रिच्युर दवाएं मरीज की स्थिति के आधार पर दी जाती हैं। 30 की पोटेंसी में दिन में दो से तीन बार और मदर टिंचर के रूप में आधा कप सादे पानी में पांच बूंदें दिन में दो से तीन बार दी जाती हैं। डॉक्टर की सलाह से इन दवाओं को ले सकते हैं।