ब्राह्मी
ब्राह्मी के पत्ते, जड़ आदि लाभकारी होते हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है।
प्रयोग : इसके ताजा पत्तों का 10 मिलिलीटर रस, मिश्री, दूध या शहद के साथ लेने से याददाश्त बढ़ती है। ब्राह्मी की सूखी पत्तियों का एक चम्मच पाउडर आधा गिलास पानी व इतने ही दूध में एक चम्मच मिश्री के साथ सुबह खाली पेट लेने से नर्वस सिस्टम दुरुस्त रहता है।
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सर्पगंधा
सर्पगंधा ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी रोगों, कीड़े आदि के काटने और सिजोफ्रेनिया जैसे मानसिक रोगों में लाभकारी होती है।
प्रयोग: सर्पगंधा की पत्तियों से तैयार पांच मिलिलीटर जूस सुबह व शाम खाने के बाद लेने से ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों में आराम मिलता है। रात के समय इस रस को खाना खाने के दो घंटे बाद और सोने से एक घंटे पहले लें।
कुल्थी
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध के मुताबिक कुल्थी गुर्दे की पथरी को गलाकर निकाल देती है।
प्रयोग: 20 ग्राम कुल्थी की दाल लेकर 400 मिलिलीटर पानी में भिगो दें, इसे दो घंटे बाद पकाएं। जब यह पानी 100 मिलिलीटर रह जाए तो छानकर 50-50 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम 15-20 दिनों तक लगातार लें, इससे पथरी छोटे-छोटे कणों के रूप में टूटकर पेशाब के रास्ते निकल जाती है। इसे आप पंसारी की दुकान से खरीद सकते हैं।
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अड़ूसा
अड़ूसा या वासक बेहद गुणकारी वनस्पति है। इसके सूखे पत्ते जलाकर उस धुएं से सांस लेने पर अस्थमा में राहत मिलती है।
प्रयोग: 8 ग्राम अड़ूसा की छाल 250 मिलिलीटर पानी में मिलाकर उबाल लें। यह काढ़ा दिन में 2-3 बार पीने से एसिडिटी में आराम मिलता है। टीबी के मरीजों को अड़ूसा के पत्तों का रस शहद मे मिलाकर पीना चाहिए। इसके पत्तों के रस से कुल्ला करने पर मसूड़ों की बीमारी दूर होती है। अड़ूसा के 5-7 पत्तों को एक काली मिर्च के साथ एक गिलास पानी में उबालें। जब यह पानी आधा रह जाए तो ठंडा होने पर प्रयोग करें। इससे फेफड़ों में जमा हुआ कफ दूर होता है।