सामान्यतया हर एक मिनट में 1-2 एमएल यूरिन ब्लैडर में पहुंचता है। ब्लैडर को संकेत मिलने के बाद जल्द ही खाली कर देना चाहिए वर्ना ब्लैडर पर जोर पड़नें से किडनी पर भी दबाव पड़ता है। पेशाब में यूरिया व अमीनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्त्व होते हैं। यूरिन को रोकने से किडनी को नुकसान होने के साथ ब्लैडर में दर्द और संक्रमण हो सकता है।
किडनी फैल्योर –
यूरिन से जुड़ा प्रत्येक इंफेक्शन किडनी को प्रभावित करता है। शरीर में यूरिया व क्रिएटिनिन बढ़ जाए तो वे शरीर से बाहर नहीं निकल पाते जिस कारण भूख कम लगने, उल्टी, कमजोरी, थकान, सामान्य से कम पेशाब, ऊत्तकों में सूजन जैसे लक्षण सामने आते हैं। कई बार यह किडनी फैल्योर की अवस्था भी बन जाती है।
संक्रमण की आशंका –
पसीने की तरह यूरिन से भी शरीर के अनावश्यक तत्त्व बाहर निकलते हैं। इस स्थिति में यूरिन की तीव्र इच्छा को बार-बार ज्यादा देर दबाया जाए तो ब्लैडर की मांसपेशियों पर दबाव पडऩे से ये कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में ब्लैडर पूरी तरह से यूरिन को बाहर नहीं निकाल पाता और यूरिन यहां जमा होता रहता है जो संक्रमण की आशंका को बढ़ा देता है।
यूटीआई का खतरा –
तीव्र इच्छा के बाद भी यूरिन रिलीज न करने की आदत, यूटीआई (यूरीनरी ट्रैक इंफेक्शन) का खतरा बढ़ा सकती है। यूरिन में संक्रमण होने से मूत्र मार्ग प्रभावित होता है। मूत्राशय या किडनी में कीटाणुओं के प्रवेश करने के बाद से ही यूटीआई की शुरुआत होती है।
पुरुषों में यूटीआई की समस्या 45-50 साल की उम्र के बाद ज्यादा सामने आती हैं।
यूरीनरी ट्रैक इंफेक्शन की आशंका पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक रहती है।