किसी भी मुद्रा (पद्मासन, सुखासन व वज्रासन) में बैठकर सबसे पहले शांत वातावरण को महसूस करें। अब नाक के दाएं नथुने से सांस भरकर इसे दाएं हाथ के अंगूठे से बंद करें। कुछ समय बाद बाएं नथुने से सांस बाहर छोड़ें ( Right Nostril Breathing )। फिर बाएं नथुने को हाथ की अनामिका और कनिष्ठा अंगुली से बंद करें और प्रक्रिया दोहराएं। इस दौरान ली गई हवा को फेफड़ों तक महसूस करें।
– नियमित अभ्यास से आयु में बढ़ोतरी होती है।
– त्वचा की रंगत बढ़ती है।
– पाचन तंत्र मजबूत बनता है ।
– शरीर में गर्मी बढती है जिससे वात एवं कफ का नाश होता है , एवं सर्दी – जुकाम , श्वास रोग आदि रोगों में लाभ मिलता है।
– चेहरे की झुर्रियां मिटती है एवं चेहरा कांतिमय बनता है।
– निम्न-रक्तचाप एवं मधुमेह में लाभ देता है ।