गिलोय
इसे हार्ट लीफ मूनसीड भी कहा जाता है। घर में नीम का पेड़ है तो इसकी बेल को नीम पर चढ़ाएं। गुणवत्ता बढ़ेगी।
फायदे: इसे काढ़े व ताजा रस के रूप में लिया जा सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक है।
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हडज़ोड़
इसकी खंडाकार बेल होती है। उसके हर खंड से एक नया पौधा पनप सकता है। इस पौधे की प्रकृति गर्म है।
फायदे: इसे चूर्ण या लेप की तरह उपयोग किया जाता है। शरीर की टूटी हुई हड्डियों को जोड़ता है। ऑस्टियोपोरोसिस में कारगर है।
अश्वगंधा
आयुर्वेद में इसका व्यापक उपयोग है। यह सब-ट्रोपिकल जगहों पर अच्छा बढ़ता है।
फायदे: इसकी जड़ों का चूर्ण दूध के साथ ले सकते हैं। यह नर्वस सिस्टम के लिए अच्छा टॉनिक और इम्युनिटी बूस्टर है।
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पत्थरचट्टा
इसे आयुर्वेद में भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी भी कहा जाता है।
फायदे: इसका जूस या चूर्ण ले सकते हैं। यह पथरी के लिए प्रयोग किया जाता है और अच्छा डाइयूरेटिक है।
कालमेघ
कालमेघ को देसी चिरायता भी कहते हैं। यह बेहद कड़वा पौधा है।
फायदे: लिवर संबंधी समस्याओं जैसे फैटी लिवर, पीलिया में फायदेमंद है। अच्छा ब्लड प्यूरीफायर है।
एलोवेरा
यह बड़ी आसानी से उग जाता है। इसे अधिक पानी की आवश्यकता भी नहीं है। इसे बढऩे के लिए अच्छी धूप चाहिए।
फायदे: आप इसे जूस के रूप में और सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं। यह अच्छा हाइड्रेटिंग एजेंट है। जलने, त्वचा और बालों संबंधी समस्याओं में यह कारगर है।