कई है कारण
जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो नाक के अंदर पीछे स्थित पतली नाजुक धमनी फटने से भी नकसीर आ सकती है। नाक में रसौली, गांठ, ट्यूमर, चोट, रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया में गड़बड़ी, हृदय रोगी जो रक्त को पतला करने की दवाइयां लेते हों, ऐसे लोगों की नाक के अंदर चोट लगने से भी नकसीर की समस्या हो सकती है।
श्लेष्मा सूखने से
गर्मियों में नाक की श्लेष्मा खुश्क हो जाती है जो कई बार पपडिय़ों या क्रस्ट का रूप ले लेती है जिससे खुजली महसूस होने लगती है। खुरचने पर नाक के बीचोंबीच स्थित सेप्टम हड्डी के आगे के हिस्से में चोट लग जाती है। यह भाग बड़ा नाजुक व रक्तस्राव के लिए काफी संवेदनशील होता है। यहां खून की कई पतली धमनियां आपस में जुडक़र एक जाल बनाती हंै। इस भाग को खुरचने से नकसीर आ सकती है।
ऐसे बचें
नाक को अंगुली से ना खुरचें। नाक में खुश्की होने पर चिकनाई के लिए कोई तैलीय पदार्थ जैसे वेसलीन, ग्लिसरीन या मलहम का प्रयोग करें। ब्लड प्रेशर नियत्रंण में रखें। गर्मियों मे वे सभी उपाय करें, जो गर्मी व लू से बचाने में मदद करते हंै, जैसे पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं, छाछ और कैरी का पना भी पी सकते हैं।
इलाज
नकसीर आने पर व्यक्ति के सिर पर पानी डालने की बजाय उसकी नाक पर बर्फ की सिकाई कर सकते हैं क्योंकि पानी से कोई ज्यादा फायदा नहीं होता। प्राथमिक इलाज में अंगूठे व पहली अंगुली से नाक के छेद को बंद करते हुए दबाने पर खून बहना बंद हो सकता है लेकिन इसके बाद नजदीकी ईएनटी विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं।
सिर पर पानी डालने की बजाय बर्फ की सिकाई से होता है ज्यादा फायदा