शरीर में सूजन खासतौर पर पैरों में, कमजोरी, भूख कम लगना, यूरिन कम आना और शरीर में खून की कमी इसके प्रमुख लक्षण हैं। इस अंग की बीमारियों का पता किन जांचों से चलता है ?
किडनी खराब होने के ज्यादातर लक्षण इस अंग के खराब होने के बाद ही सामने आते हैं। हमारे देश में 75 प्रतिशत मरीजों को किडनी के खराब होने का पता रोग के काफी बढ़ जाने के बाद ही चल पाता है। किडनी रोगों के लिए ब्लड यूरिया, क्रिएटिनिन और यूरिन संबंधी जांचें की जाती हैं।
किडनी खराब होने के ज्यादातर लक्षण इस अंग के खराब होने के बाद ही सामने आते हैं। हमारे देश में 75 प्रतिशत मरीजों को किडनी के खराब होने का पता रोग के काफी बढ़ जाने के बाद ही चल पाता है। किडनी रोगों के लिए ब्लड यूरिया, क्रिएटिनिन और यूरिन संबंधी जांचें की जाती हैं।
डायबिटीज और किडनी रोगों में क्या संबंध है ?
खराब जीवनशैली की वजह से कई रोग हो सकते हैं। इनमें डायबिटीज प्रमुख है। डायबिटीज शरीर के सभी अंगों पर बुरा असर डालती है। इनमें किडनी व हृदय प्रमुख हैं। लगभग 30-35 प्रतिशत डायबिटीज के मरीज खराब किडनी से प्रभावित होते हैं।
खराब जीवनशैली की वजह से कई रोग हो सकते हैं। इनमें डायबिटीज प्रमुख है। डायबिटीज शरीर के सभी अंगों पर बुरा असर डालती है। इनमें किडनी व हृदय प्रमुख हैं। लगभग 30-35 प्रतिशत डायबिटीज के मरीज खराब किडनी से प्रभावित होते हैं।
किडनी को कैसे नुकसान पहुंचाती है डायबिटीज ?
डायबिटीज के कारण धीरे-धीरे किडनी पर असर पड़ता है। पहले किडनी से यूरिन के रास्ते प्रोटीन लीक होने लगता है। इसके बाद रक्त को फिल्टर कर गंदगी को यूरिन के रास्ते बाहर निकालने की क्षमता कम होने लगती है। इसलिए डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) और किडनी स्टोन की समस्या से पीड़ित मरीजों को साल में एक बार किडनी जांच करानी चाहिए।
डायबिटीज के कारण धीरे-धीरे किडनी पर असर पड़ता है। पहले किडनी से यूरिन के रास्ते प्रोटीन लीक होने लगता है। इसके बाद रक्त को फिल्टर कर गंदगी को यूरिन के रास्ते बाहर निकालने की क्षमता कम होने लगती है। इसलिए डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) और किडनी स्टोन की समस्या से पीड़ित मरीजों को साल में एक बार किडनी जांच करानी चाहिए।
इस अंग के प्रभावित होने पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ?
ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की दवाएं नियमित लें।
डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई भी दवा खासतौर पर पेनकिलर आदि न लें। वजन नियंत्रित रखें।
धूम्रपान, तंबाकू व शराब आदि से दूरी बनाएं।
नमक, तेल और घी का अधिक मात्रा में प्रयोग न करें।
ब्रेड, बिस्किट सीमित मात्रा में खाएं क्योंकि ये एक प्रकार के रिफाइंड वीट होते हैं जो ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ाते हैं। इसके अलावा नमकीन से भी परहेज करना चाहिए।
भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम रखें। हफ्ते में दालें एक से दो बार ही खाएं व मांसाहार से परहेज करें।
फल, जूस व पानी की मात्रा डॉक्टर के परामर्श अनुसार लें।
जिनकी बीमारी अधिक बढ़ चुकी है, उन्हें डायलिसिस या प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।
ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की दवाएं नियमित लें।
डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई भी दवा खासतौर पर पेनकिलर आदि न लें। वजन नियंत्रित रखें।
धूम्रपान, तंबाकू व शराब आदि से दूरी बनाएं।
नमक, तेल और घी का अधिक मात्रा में प्रयोग न करें।
ब्रेड, बिस्किट सीमित मात्रा में खाएं क्योंकि ये एक प्रकार के रिफाइंड वीट होते हैं जो ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ाते हैं। इसके अलावा नमकीन से भी परहेज करना चाहिए।
भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम रखें। हफ्ते में दालें एक से दो बार ही खाएं व मांसाहार से परहेज करें।
फल, जूस व पानी की मात्रा डॉक्टर के परामर्श अनुसार लें।
जिनकी बीमारी अधिक बढ़ चुकी है, उन्हें डायलिसिस या प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।