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गहरा नाता है उच्च रक्तचाप और हाइपरटेंशन स्ट्रोक का

आम तौर पर लोग तेज सिरदर्द को हल्के में लेते हैं और सोचते हैं कि यह अपने-आप ठीक हो जाएगा।

Sep 15, 2018 / 05:02 am

शंकर शर्मा

गहरा नाता है उच्च रक्तचाप और हाइपरटेंशन स्ट्रोक का

आम तौर पर लोग तेज सिरदर्द को हल्के में लेते हैं और सोचते हैं कि यह अपने-आप ठीक हो जाएगा। लेकिन कई बार सिरदर्द का ताल्लुक अनियमित उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) से भी हो सकता है जिस कारण स्ट्रोक की आशंका बढ़ सकती है। विशेषज्ञ के मुताबिक हो सकता है कई सालों पहले तक आपका रक्तचाप अनियमित रहा हो और अब यह सिरदर्द के लक्षण के तौर पर सामने आया हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि उच्च रक्तचाप व स्ट्रोक के बीच गहरा ताल्लुक देखा गया है।

स्ट्रोक की आशंका
उच्च रक्तचाप के कारण रक्त नलिकाओं में सूजन आ सकती है, जिसे एन्युरिज्म कहते हैं। इससे ब्रेन हेमरेज का खतरा बढ़ जाता है। स्ट्रोक एक प्रकार का ब्रेन अटैक ही है। जब मस्तिष्क तक पहुंचने वाले रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है तो स्ट्रोक की आशंका रहती है। उच्च रक्तचाप से कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और ये भी स्ट्रोक का है।

एक्टिव रहें-तनाव से बचें
रक्तचाप को दवाइयों और लाइफस्टाइल में परिवर्तन से नियंत्रित रखा जा सकता है। समय-समय डॉक्टरी सलाह लेते रहें। हाई बीपी से पीडि़त लोगों को अधिक तनाव और डिप्रेशन से बचना चाहिए क्योंकि ये दिक्कतें ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का काम करती हैं।

उच्च रक्तचाप से खतरा
स्ट्रोक के लिए उच्च रक्तचाप एकमात्र सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है। इसेस बे्रन हेमरेज के अलावा हार्ट अटैक और अन्य अंगों के क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हाई बीपी के दौरान रक्त संचार सुचारू रखने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। कई बार रक्त कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होकर सख्त और संकीर्ण हो जाती हैं यह भी रक्तसंचार मेंं बाधा पैदा करता है।

दवा और लाइफ स्टाइल
क्लीनिकल परीक्षणों से साबित हो चुका है कि हाइपरटेंशन की दवाइयां स्ट्रोक से भी बचाव करती हैं। अन्य परीक्षण बताते हैं कि हाइपरटेंशन दूर करने वाली दवाइयां स्ट्रोक का खतरा 32 प्रतिशत तक कम कर देती हैं। उच्च रक्तचाप पर काबू के लिए दवा और लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की सलाह दी जाती है। शरीर रिलैक्स रहेगा तो बीपी की समस्या का आसानी से समाधान किया जा सकता है।

रक्तचाप पर करें नियंत्रण
र क्तचाप पर नियंत्रण पाने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव मददगार हो सकते हैं:
खाने में नमक का प्रयोग कम करें। ऐसे खाद्य पदार्थों में अलग से नमक न डालें जिनमें पहले से पर्याप्त नमक मौजूद हो।
प्रतिदिन कम-से-कम पांच प्रकार के फल और सब्जियों को डाइट में शामिल करें।
समय -समय पर अपना वजन चेक करते रहें।
भोजन में वसा की मात्रा सीमित ही रखें।
भोजन में चीनी की मात्रा कम रखें और धूम्रपान न करें।
अल्कोहल से दूरी बनाएं। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और नियमित व्यायाम करें।
तनाव को कम करें। कुछ समय अपने लिए भी निकालें। नींद पूरी लें और समय पर सोएं।

दक्षिण एशिया में अधिक
ब्रिटेन में हुए शोध के मुताबिक, पश्चिमी देशों के लोगों की तुलना में दक्षिण एशियाई लोगों की स्ट्रोक से ज्यादा मौतें होती हैं। इसकी वजह जानना बहुत जटिल है और इसे आसानी से नहीं समझा जा सकता है।

दक्षिण एशिया के लोगों में उच्च रक्तचाप, डायबिटीज या उच्च कोलेस्ट्रॉल की आशंका ज्यादा होती है और ये स्ट्रोक बढ़ाने के रिस्क फैक्टर्स हैं।

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