डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़ों की नसों पर अधिक दबाव होने या दिल का एक हिस्सा बड़ा हो जाने पर भी खांसी हो जाती है। डॉक्टर इसे दिल का अस्थमा कहते हैं।
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जानकार बताते हैं कि लगातार तीन हफ्ते या इससे ज्यादा चलने वाली खांसी टीबी का संकेत हो सकती है। इसके अलावा दमा या स्वाइन फ्लू के कारण भी खांसी हो सकती है। खांसी अगर लगातार ज्यादा दिनों तक हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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आयुर्वेद में खांसी के उपचार के लिए सितोपलादि चूर्ण खास है। इसके अलावा अग्निरस चूर्ण की एक-एक गोली दिन में दो बार पानी से लेने या ज्वर भैरव चूर्ण आधा छोटा चम्मच दिन में दो बार पानी से लेने पर भी खांसी से राहत मिलेगी। बलगम वाली खांसी में महालक्ष्मीविलास रस की एक-एक गोली, कठफलादि चूर्ण या तालीसादि चूर्ण आधा-आधा चम्मच पानी से दो बार लेने, तुलसी, लौंग, अदरक, गिलोय व काली मिर्च को पानी में उबालकर इसमें शहद मिलाकर पीने से भी फायदा होता है।
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सूखी खांसी हो तो ब्रायोनिया अलबम-30, स्पॉन्जिया-30, एकोनाइट-30, बैलाडोना-30 जैसी दवाइयां कारगर हैं। बलगम वाली खांसी में हीपरसेल्फ -30, एंटिमटार्ट-30, आईपीकॉक-30 व फॉस्फोरस-30 के सेवन से आराम मिलता है। जुकाम व बुखार के साथ होने वाली खांसी के लिए एलियम सीपा-30, फेरमफॉस-30, काली म्यूर-30 तथा बुजुर्गों में होने वाली काली खांसी के लिए ड्रॉसेरा-30, ट्यूबर कोलाइनम-30, नक्स वोमिका-30 व स्टिक्टा-30 की सलाह दी जाती है।
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ज्यादा खांसी होने पर सेंधा नमक की छोटी-सी डली को आग पर रखकर गर्म कर लें और एक कटोरी पानी में तत्काल डाल दें। ऐसा पांच बार करके यह पानी पी लें, खांसी में आराम मिलेगा। इसके अलावा तुलसी, काली मिर्च व अदरक की चाय, आधा चम्मच अदरक के रस शहद में मिलाकर लेने, मुलैठी की छोटी सी डंडी चूसने, गर्म पानी के गरारे करने या गुनगुने दूध से गरारे करने पर भी खांसी ठीक होती है। रात को गर्म चाय या दूध के साथ आधा चम्मच हल्दी भी गुणकारी है।