What is fasting क्या है उपवास
यदि हम शरीर के प्राकृतिक चक्र पर गौर करें तो पता चलता है कि हर 40-48 दिनों में शरीर एक खास चक्र से गुजरता है। इस खास अवधि को ‘मंडल’ कहा जाता है। आहार विशेषज्ञ कहते हैं कि हर 11-14 दिनों में एक दिन ऐसा भी आता है, जब हमारा कुछ भी खाने का मन नहीं करता। उस दिन भी हमें नियमित आहार खाना चाहिए। हर चक्र में तीन दिन ऐसे होते हैं जिनमें शरीर को भोजन की आवश्यकता नहीं होती।
यदि हम शरीर के प्राकृतिक चक्र पर गौर करें तो पता चलता है कि हर 40-48 दिनों में शरीर एक खास चक्र से गुजरता है। इस खास अवधि को ‘मंडल’ कहा जाता है। आहार विशेषज्ञ कहते हैं कि हर 11-14 दिनों में एक दिन ऐसा भी आता है, जब हमारा कुछ भी खाने का मन नहीं करता। उस दिन भी हमें नियमित आहार खाना चाहिए। हर चक्र में तीन दिन ऐसे होते हैं जिनमें शरीर को भोजन की आवश्यकता नहीं होती।
यह भी पढ़ें
Homemade Aloe Vera Soap: कांच की तरह ग्लो करने लगेगी आपकी स्किन
अगर हम अपने शरीर को लेकर सजग हो जाएंगे तो खुद भी इस बात का अहसास हो जाएगा कि इन दिनों में शरीर को भोजन की जरूरत नहीं होती। इनमें से किसी भी एक दिन हम बिना भोजन के आराम से रह सकते हैं यानी उस दिन उपवास किया जा सकता है। भारतीय पंचांग के हिसाब से देखें तो हर 14 दिनों में एक बार एकादशी आती है। इसका मतलब हुआ कि हर 14 दिनों में हम एक दिन बिना खाए रह सकते हैं। दिलचस्प है कि ऐसी प्रवृत्ति जानवरों में होती है और वे भी कई बार कुछ न खाकर उपवास करते हैं। यह भी पढ़ें
Gall Bladder Surgery : गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद कैसी होनी चाहिए डायट, भूलकर भी ना खाएं ये चीजें
Fasting period उपवास की अवधि आयुर्वेद के अनुसार उपवास शारीरिक स्थिति एवं रोग के अनुसार 2-3 दिन से लेकर दो मास तक किया जा सकता हैं। एक सप्ताह से अधिक का उपवास लंबे उपवास की श्रेणी में आता हैं। उपवास के दौरान आप पांच बार तरल पदार्थ ले सकते हैं जिसमें दो बार ताजे फलों का रस एक-एक गिलास लें और दिन में तीन बार एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू व शहद मिलाकर लें। उपवास नींबू पानी या संतरे-मौसमी आदि के रस से खोलना चाहिए। फिर एक दिन तक मौसमी फल लेने चाहिए। जितने दिन तक उपवास किया हो, उसके चौथाई समय तक फल लें, उसके बाद ही अन्न खाएं।
Advantages of fasting ये हैं फायदे लापरवाही और गलत आदतों से शरीर में जहरीले पदार्थ इकट्ठे होते रहते हैं। यही रोगों का कारण बनते हैं। उपवास के दौरान जब हम कुछ नहीं खाते तो हमारा पाचन तंत्र शांत होकर दिमाग को सिग्नल भेजता है जिससे पूरा शरीर नॉर्मल हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान हमारी आंतों को आराम मिलने से ब्लड प्यूरीफाई होता है। इससे आमाश्य, छोटी आंत और बड़ी आंत फिर से एक्टिव हो जाती हैं।
जिद ना करें उपवास उतना ही रखना चाहिए जितना शरीर सह सके। यदि कोई व्यक्ति बीमार हो या बीमारी से उठा हो तो शारीरिक क्षमता का ध्यान रखकर ही उपवास करे। उपवास रखने पर अगर तबीयत खराब होने लगे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। किसी खास वजह से किए जा रहे उपवास को लेकर जिद न करें। उपवास मन व शरीर की शुद्धता के लिए ही रखा जाता है ऐसे में इनके बहाने अपने ही प्रति इतने कठोर नहीं हों कि शरीर उसे सहन ही न कर पाए। बुजुर्ग भी डॉक्टरी सलाह के बाद ही उपवास रखें।
keep these precautions रखें ये सावधानियां नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा के अनुसार हमारे शरीर में रोग पैदा करने वाले रोगाणु होते हैं जिन्हें खाने की जरूरत होती है लेकिन जब हम उपवास करते हैं तो भोजन ना मिलने से ये निष्क्रिय होकर शरीर से बाहर निकल जाते हैं। गर्भावस्था, डायबिटीज, अल्सर, एसिडिटी या ज्यादा कमजोरी की स्थिति में उपवास नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्भवती महिलाओं को इस समय ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। वहीं डायबिटीज के मरीजों को थोड़े-थोड़ें अंतराल में कुछ न कुछ खाना होता है वर्ना उनकी शुगर लो हो सकती है। अगर फिर भी उपवास करना हो तो विशेषज्ञ की सलाह लेने के बाद ही करें।
यह भी पढ़ें
Vegetables For Weight Loss: इन 4 सब्जियों को अपनी डाइट में करें शामिल, तेजी से कम होगा वजन
जिद ना करें उपवास उतना ही रखना चाहिए जितना शरीर सह सके। यदि कोई व्यक्ति बीमार हो या बीमारी से उठा हो तो शारीरिक क्षमता का ध्यान रखकर ही उपवास करे। उपवास रखने पर अगर तबीयत खराब होने लगे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। किसी खास वजह से किए जा रहे उपवास को लेकर जिद न करें। उपवास मन व शरीर की शुद्धता के लिए ही रखा जाता है ऐसे में इनके बहाने अपने ही प्रति इतने कठोर नहीं हों कि शरीर उसे सहन ही न कर पाए। बुजुर्ग भी डॉक्टरी सलाह के बाद ही उपवास रखें।
यह भी पढ़ें
Juice For Constipation: अगर कब्ज की समस्या को जड़ से खत्म कर देंगे ये जूस, आज से ही अपनी डाइट में करे शामिल
keep these precautions रखें ये सावधानियां नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा के अनुसार हमारे शरीर में रोग पैदा करने वाले रोगाणु होते हैं जिन्हें खाने की जरूरत होती है लेकिन जब हम उपवास करते हैं तो भोजन ना मिलने से ये निष्क्रिय होकर शरीर से बाहर निकल जाते हैं। गर्भावस्था, डायबिटीज, अल्सर, एसिडिटी या ज्यादा कमजोरी की स्थिति में उपवास नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्भवती महिलाओं को इस समय ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। वहीं डायबिटीज के मरीजों को थोड़े-थोड़ें अंतराल में कुछ न कुछ खाना होता है वर्ना उनकी शुगर लो हो सकती है। अगर फिर भी उपवास करना हो तो विशेषज्ञ की सलाह लेने के बाद ही करें।