बॉडी एंड सॉल

ज्यादा केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट से सफेद दाग के खतरे की आशंका

विटिलाइगो यानी सफेद दाग त्वचा से जुड़ी सामान्य कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है लेकिन इससे जुड़े अंधविश्वासों की वजह से पीडि़त लोगों को समाज में अकसर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

Aug 04, 2018 / 05:16 am

शंकर शर्मा

ज्यादा केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट से सफेद दाग के खतरे की आशंका

विटिलाइगो यानी सफेद दाग त्वचा से जुड़ी सामान्य कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है लेकिन इससे जुड़े अंधविश्वासों की वजह से पीडि़त लोगों को समाज में अकसर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह त्वचा के साथ भी कुछ समस्याएं होना स्वाभाविक है।

जलने-कटने के निशान, काले धब्बे, तिल या मस्से जैसी स्किन प्रॉब्लस को लोग सहजता से झेल लेते हैं लेकिन यानी सफेद दाग एक ऐसी बीमारी है जिसमें सामाजिक मान्यताओं और अंधविश्वासों की वजह से पीडि़त खुद को उपेक्षित महसूस करता है। जानते हैं इसके बारे में …

समझें क्या है यह बीमारी
यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली में होने वाली गड़बड़ी का परिणाम है। ऐसी स्थिति में त्वचा का रंग तय करने वाली मेलेनोसाइट्स नामक कोशिका धीरे—धीरे नष्ट होने लगती है। नतीजन त्वचा पर सफेद धब्बे नजर आने लगते हैं। यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर दिखाई देती है। शरीर के कई अलग-अलग हिस्सों पर भी ऐसे दाग नजर आ सकते हैं। अक्सर ऐसे दाग शरीर के ऊपरी हिस्से से नीचे की ओर अधिक फैलते नजर आते हैं। ऐसे में बिना लापरवाही बरते तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

क्या है इलाज?
जिनकी त्वचा संवेदनशील है वे खासकर तेज गंध वाले साबुन, हेयर कलर, डियो और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट से दूर रहें। कई बार लोग इसे छिपाने के लिए टैटू बनवाते हैं ऐसा बिल्कुल भी न करें। इससे सफेद दाग फैलने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ मामलों में इसका इलाज होने के बाद दोबारा हो सकता है। ऐसे में दोबारा दवाएं लेनी पड़ सकी है। अगर दाग खत्म होने के दो साल बाद तक ये दोबारा न हो तो स्थिति सामान्य कही जा सकती है। इसके उपचार के तौर पर स्किन ग्राफ्टिंग तकनीक अपनाई जाती है।

इसमें शरीर के किसी एक हिस्से से त्वचा निकालकर दाग वाले हिस्से पर लगा देते हैं। इसके अलावा सक्शन ब्लिस्टर एपिडर्मल ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए सामान्य त्वचा को वैक्यूम के माध्यम से दो अलग हिस्सों में विभाजित करके उसे दाग वाले हिस्से पर रखा जाता है। इससे त्वचा की रंगत बनाने वाले तत्त्व मिलेनिन दाग वाली जगह में समाकर धीरे-धीरे वहां की सफेद रंगत को बदलना शुरू कर देता है।

क्या हो सकते हैं कारण
आनुवंशिकता यानी अगर माता-पिता को यह डिजीज हो तो बच्चों में भी इसकी आशंका बढ़ जाती है। हालांकि जरूरी नहीं है। कि इससे पीडि़त हर व्यक्ति की संतान को भी ऐसी समस्या हो।


कुछ लोगों के शरीर पर छोटे-छोटे गोल धब्बे बनने लगते हैं और उस स्थान से रोएं गायब होने लगते हैं। इसे एलोपेशिया एरियाटा कहा जाता है। भविष्य में समस्या विटिलाइगो का भी कारण बन सकती है।


बिंदी में लगे गोंद, सिंथेटिक जुराबें, घटियाक्वक्वालिटी व अधिक केमिकल वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स या फुटवियर की वजह से भी लोगों को ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसी चीजें खरीदते समय उनकी गुणवत्ता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

कई बार बर्थ मार्क या मस्से के आसपास की त्वचा की रंगत में भी बदलाव शुरू हो जाता है, जिससे विटिलाइगो की समस्या हो सकती है।


अधिक केमिकल एक्सपोजर की वजह से भी ऐसी डिजीज हो सकती है। जैसे रबड़ और केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर।

लक्षण
अगर त्वचा की रंगत में सफेदी नजर आने लगी है और रोएं सफेद होने लगे हैं, तो सजग होने की जरूरत है। ध्यान रखें कि ऐसे दागों में खुजली या जलन महसूस नहीं
होती है।

ध्यान रखें
अपने लुक्स को लेकर ज्यादा सजग हैं तो कंसीलर का प्रयोग कर सकती हैं लेकिन स्किन एक्सपर्ट की सलाह से ही लगाएं। सफेद दाग के लक्षण दिखते ही बिना देरी किए चर्म रोग विशेषज्ञ से मिलें। इन मामलों में लापरवाही ना बरतें और कभी भी स्वयं डॉक्टर बनने की कोशिश भी ना करें। कोशिश करें कि खुद कोई घरेलू नुस्खा भी ना अपनाया जाए।

Hindi News / Health / Body & Soul / ज्यादा केमिकल वाले कॉस्मेटिक प्रोडक्ट से सफेद दाग के खतरे की आशंका

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.