अध्ययन के मुताबिक, 2050 तक भारत की जनसंख्या 170 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जिसके तहत अगले 32 वर्षों में बच्चों की संख्या (15 साल से कम उम्र के बच्चे) 20 फीसदी कम हो जाएगी, जबकि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या तीन गुना तक बढ़ जाएगी। वैश्विक स्तर पर जनसांख्यिकीय डाटा उपलब्ध कराने वाली पीआरबी के मुताबिक, 2018 में देश की बच्चों की वृद्धि दर 28 फीसदी है, जो 2050 में घटकर 19 फीसदी हो जाएगी।
इसके मुकाबले 65 वर्ष से अधिक लोगों की वृद्धि दर का अनुपात छह से बढ़कर 13 फीसदी हो जाएगा। पीआरबी ने निर्भरता का यह डाटा विभिन्न देशों और क्षेत्रों में इकट्ठा किया है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में बताया था कि बुजुर्गों की आबादी 2050 तक बढ़कर 34 करोड़ पहुंचने की संभावना है। यह संख्या संयुक्त राष्ट्र के 31.68 करोड़ के अनुमान से थोड़ी अधिक है, जो यह स्पष्ट संकेत देती है कि भारत अनुमान से अधिक तेजी से बूढ़ा हो रहा है। स्वास्थ्य शिक्षा में उन्नति ने इस रुख में बदलाव लाने में एक अहम भूमिका निभाई है।
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा 2017 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या में पिछले दस वर्षों में 35.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2001 में देश में बुजुर्गों की संख्या सात करोड़ 60 लाख थी जो 2011 बढ़कर 10 करोड़ 30 लाख पहुंच गई थी।
आंकड़ों के मुताबिक, केरल, गोवा, तमिलनाडु, पंजाब और हिमाचल प्रदेश देश के सबसे अधिक बुजुर्ग लोगों की संख्या वाले राज्य हैं। केरल में कुल आबादी का 12.6 फीसदी, गोवा में 11.2 फीसदी, तमिलनाडु में 10.4, पंजाब में 10.3 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में कुल आबादी का 10.2 फीसदी हिस्सा बुजुर्ग है। अगर बात करें सबसे कम बुजुर्ग संख्या वाले राज्यों की, तो अरुणाचल प्रदेश में 4.6 फीसदी, मेघालय में 4.7, नागालैंड में 5.2 फीसदी, मिजोरम में 6.3 फीसदी और सिक्किम में 6.7 फीसदी बुजुर्ग रह रहे हैं।