भोजन के बाद वर्कआउट करने से रक्तसंचार हृदय के साथ आंतों व पेट तक विभाजित हो जाता है। इससे हृदय पर दबाव पड़ने से हृदयाघात की आशंका बढ़ती है। सुबह के समय पेट खाली होता है और वर्कआउट करने से रक्त की पूर्ति हृदय की नसों व मांसपेशियों को ज्यादा होती है।
सुबह वर्कआउट करने वाले रात में जल्दी और अच्छी तरह सोते हैं। जिससे अगले दिन व्यक्ति ज्यादा फ्रेश महसूस करता है। इससे सोच भी पॉजीटिव होती है।विशेषज्ञाें के अनुसार सुबह के समय दिमाग तरोताजा और तनावमुक्त होता है। इस समय किए गए वर्कआउट से शरीर को ताजा हवा मिलती है और दिनभर की थकान के बाद रात में जल्दी सोने की आदत बनती है।
सही रहती है जैविक घड़ी ( Exercise in Morning Good For Body Clock )
हमारा शरीर सर्केडियन रिद्म यानी शरीर की जैविक घड़ी का पालन करता है। इससे हार्मोन व स्वभाव सहित शरीर की गतिविधियां नियंत्रित होती हैं। सुबह के समय वर्कआउट करने से दिनभर के लिए जैविक घड़ी ऊर्जावान रहते हुए शारीरिक और मानसिक कार्य में संतुलन बनाए रखती है। विशेषज्ञाें के अनुसार शारीरिक-मानसिक तालमेल सही रखने के लिए सुबह 7- 8 बजे के बीच वर्कआउट करना सही है। इस दौरान शरीर नींद के बाद रिलैक्स अवस्था में व बैलेंस रहता है जिससे ऑक्सीजन ज्यादा से ज्यादा ले पाता है।
सुबह वर्कआउट ( Workout In Morning ) करने से पूरे दिन एनर्जी लेवल हाई रहता है, जिससे मानसिक तौर पर अलर्ट रहने के साथ आप एक्टिव भी रहते हैं। दरअसल इससे शरीर में एंडॉर्फिन और मूड सुधारने वाले तत्त्वों का स्त्राव होता है। साथ ही मेटाबॉलिक रेट सामान्य रहने से पाचन संबंधी कोई दिक्कत नहीं होती। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की शोध के मुताबिक ऑफिस जाने से पूर्व वर्कआउट करने वाले ज्यादा ऊर्जावान, शांत, प्रोडक्टिव होते हैं। विशेषज्ञाें के अनुसार सुबह के समय शरीर में कार्टिसोल हार्मोन का स्तर तुलनात्मक रूप से ज्यादा होता है। इस दौरान वर्कआउट करने से सभी अंगों की कार्यप्रणाली सुचारू रहती है। जो सीधे तौर पर मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखता है।