यह सर्वेक्षण महिलाओं के लिए भारत के सबसे बड़े यूजर जेनेरेटेड कंटेंट प्लेटफॉर्म मॉम्सप्रेसो और माताओं के दूध के बारे में शोधकर्ताओ के साथ काम करने वाली कंपनी मेडेला के सहयोग से किया गया। इस सर्वेक्षण में 510 भारतीय महिलाओं को शामिल किया गया। स्तनपान कराने के दौरान माताओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में उनसे बात की गई और सलाह ली गई।
अध्ययन में भारतीय माताओं के सामने आने वाली छह मुख्य चुनौतियों के बारे में इस सर्वे में बात की गई। इन छह चुनौतियों में शुरुआती दिनों की समस्याएं जैसे दूध न आने की समस्या, स्तन का आकार (34.7 फीसदी), बीच रात में जागने से थकावट, बहुत ज्यादा फीडिंग सेशन और लंबे फीडिंग सेशन (31.8 फीसदी), बच्चे का काटना (26.61 फीसदी), दूध आपूर्ति की समस्या (22.7 फीसदी), सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान (17.81 फीसदी) और आंशिक अवसाद (17.42 फीसदी) जैसी समस्याएं शामिल थीं। अध्ययन के मुताबिक, 38 प्रतिशत माताओं का कहना है कि बच्चे के जन्म के शुरुआती दिनों में उनके स्तनपान का सफर का सबसे चुनौतीपूर्ण समय था।
सर्वेक्षण में बताया गया कि बाहरी कारक स्तनपान कराने वाली माताओं पर गहरा असर डाल सकते हैं और उन्हें एक सकारात्मक, सहायक माहौल प्रदान करके उन्हें एक ऐसी सहायता दी जा सकती है, जिससे वे अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ समझौता किए बगैर अपने बच्चों को उचित पोषण प्रदान कर सकें।