ऐसे में इस दिन नागपूजा करना विशेष फलदायी होगा। नागपंचमी के बाद रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश उत्सव सहित अनेक पर्व आएंगे, यह सिलसिला दिवाली के बाद देवउठनी एकादशी तक जारी रहेगा। इस दौरान पितृपक्ष पखवाड़ा छोड़कर लगातार तीज त्योहारों की रौनक नजर आएगी।
सोमवार के दिन नागपंचमी विशेष फलदायी रतनपुर स्थित सिद्ध तंत्र पीठ भैरव मंदिर के महंत पं. जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि इस बार नागपंचमी का पर्व सोमवार के दिन मनाया जाएगा। सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन है, इस दिन नागपंचमी होने से विशेष फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही कई शुभ योग विद्यमान रहेंगे। यह दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी विशेष फलदायी माना गया है। सावन सोमवार, नागपंचमी के साथ शुभ योगों का होना इसे और अधिक फलदायी बनाएगा।
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श्रावण मास में श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा स्थित त्रिदेव मंदिर में श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का श्री महा रूद्राभिषेकात्मक महायज्ञ चल रहा है। पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु से संबंधित कोई दोष हो तो नाग पंचमी के दिन चांदी या फिर तांबे का नाग नागिन शिव मंदिर में जाकर शिवजी को अर्पित करना चाहिए।
यह भी पढें: Youtube : youtube में वीडियो देख कर सीखा ऐसा तरीका, अब घर बैठे हो रही लाखों की कमाई या फिर बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए। नागपंचमी के दिन कालसर्प योग की शांति पूजा तथा यज्ञ-अनुष्ठान आदि करना चाहिए। इससे पूर्व जन्म के दोष मिट जाते हैं।वर्षा ऋतु में जब सांपों के बिल में पानी भर जाता है तो वह बाहर निकल आते हैं और तब उन्हें मारा न जाए बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़दिया जाए इसकी स्मृति कराने के लिए ही संभवत श्रावण मास में नाग पर्व आता है।