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नरक चतुर्दशी का महत्व ज्योतिषविद पंडित ओंकार शर्माके अनुसार नरक चतुर्दशी का सनातन धर्म में काफी महत्व है। इस पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ राक्षस नरकासुर का वध किया और 16000 गोपियों को बचाया। नरक चतुर्दशी बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भक्तों को इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। कुछ क्षेत्रों में इस दिन को काली चौदस के रूप में भी मनाया जाता है।
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पर्व पर करें ये उपाय पंडितों के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दीपक जलाएं और इसे दक्षिण दिशा में रखें। मान्यता है कि यम के नाम का यह दीपक जलाने से पाप नष्ट होते हैं। दक्षिण दिशा पितरों की दिशा मानी जाती है। ऐसे में इस दिशा में दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर के बाहर भी कम से कम 14 दीपक जलाएं। साथ ही दीया जलाकर भगवान कृष्ण की पूजा करें और उन्हें खीर, हलवा और सूखे मेवे, मिठाइयों का भोग लगाएं। यह भी पढ़ें
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रूप चौदस नरक चतुर्दशी के दिन यम देवता का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए किया जाता है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का बध किया था। साथ ही इस दिन उबटन लगाकर स्नान किया जाता है, इसलिए इसे रूप चौदस भी कहा जाता है। हनुमान आराधना इसलिए जरूरी हनुमान जी की जन्मतिथि को लेकर कई मान्यताएं हैं। वाल्मीकि की रामायण के अनुसार माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन स्वाति नक्षत्र में हुआ था। यह तिथि दिवाली से एक दिन पहले यानी नरक चतुर्दशी की तिथि के रूप में पड़ती है। इसलिए नरक चतुर्दशी पर भगवान हनुमान की पूजा का भी विधान माना गया है। इस तिथि के दिन आप सुबह सबसे पहले स्नान करें। इसके बाद हनुमान जी के आगे दीपक जलाकर उनका ध्यान करें। फिर बूंदी का भोग लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।