यह भी पढ़ें
CG News: गृहमंत्री विजय शर्मा ने गौ माता को खिलाई खिचड़ी, देखें तस्वीरें…
Winter 2024: मौसमी बीमारी असर
Winter 2024: ठंड बढ़ने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। इन दिनों अस्पतालों में ज्यादातर सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार के मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इन बीमारियों के अतिरिक्त सांस के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। जिला अस्पताल में रोजाना औसतन जहां 10 मरीज तो सिम्स में इसके औसतन 30 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक जो पहले से ही अस्थमा या किसी प्रकार की एलर्जी की समस्या से पीड़ित हैं, ठंड में उन्हें इसकी ज्यादा परेशानी बढ़ जाती है। जरूरी है, सावधानी बरतने की।
सांस की बीमारी के लक्षण
लंबे समय तक खांसी और जुकाम होना थोड़ी सी भी फिजिकल एक्टिविटी करने पर सांस फूलने लगना सीने में जकड़न का अहसास होना सांस लेने में तकलीफ होना खांसी के साथ खून आना
यह व्यवस्था हो तो मिले राहत
प्री पेड बूथ में ट्रैफिक पुलिस व रेल प्रशासन को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी ऑटो चालक बिना पर्ची कटाए प्री पेड बूथ से न निकले। यहां ऑटो चालकों की मनमानी को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस व आरपीएफ के जवानों की तैनाती सुनिश्चित की जानी चाहिए। प्री पेड बूथ पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए। लापरवाह आटो चालकों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए।पहले से पीड़ित मरीजों की संख्या ज्यादा
अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे मरीजों की पहुंच रही, जिन्हें अस्थता या फिर एलर्जी की शिकायत है। डॉक्टरों के अनुसार ठंड के मौसम में ठंडी हवा सांस की नालियों को सिकोड़ देती है। इस वजह सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ठंड में विशेष तौर पर अस्थमा और ब्रैंकोइटिस के मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। इनके मरीजों का कफ बढ़ने लगता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है।हल्की-फुल्की फिजिकल एक्टिविटी के साथ गर्म कपड़ों का उपयोग, ताजा भोजन करें
सर्दी के मौसम में कम सक्रिय रहने की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। ठंड के मौसम में थोड़ी बहुत फिजिकल एक्टिविटी करनी आवश्यक है। यदि सांस से संबंधित किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं। ठंड के मौसम के दौरान सामान्य तौर पर देखा गया है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। सांस के रास्ते फेफड़ों तक प्रदूषित हवा पहुंचने से फेफड़ों पर और अधिक दबाव बढ़ जाता है। ठंड के मौसम में लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों में सूजन का खतरा बना रहता है। लिहाजा हमें इसे लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।