बिलासपुर

रात भर चलकर भक्तों ने पग-पग में नापा रतनपुर तक का रास्ता, पहुंचे मां महामाया के दरबार

चैत्र नवरात्रि की सप्तमी की शाम भक्तों का रेला पहुंचा माता के दरबार, आदिशक्ति मां महामाया मंदिर में रात भर दर्शन किया भक्तों ने

बिलासपुरMar 25, 2018 / 12:28 pm

Amil Shrivas

बिलासपुर . चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है, महामाया सुन ले पुकार दर्शन दे दे माता, मैया-मैया हम पर हो तेरी छैय्या, मैं बालक तू माता शेरावालिए जैसे भजनों को गाते हुए शनिवार की शाम भक्तों का रेला मां महामाया के दर्शन के लिए पैदल निकला। रात में 25 किलोमीटर की दूर पग-पग में तय कर महामाया के दरबार पहुंचे। शाम से पैदल निकले भक्तों की टोलियां मध्यरात्रि तक मंदिर परिसर पहुंची। माता के दर्शन करने के लिए आस्था का जनसैलाब मंदिर परिसर में उमड़ा। रास्ते भर माता के जयकारे की गूंज से माहौल भक्तिमय हुआ।
चैत्र नवरात्रि की सप्तमी की तिथि को मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। आदिशक्ति मां महामाया के दर्शन के लिए इस दिन भक्त पैदल चलकर माता के दरबार पहुंचते हैं। शनिवार की शाम से ही भक्तों का रेला मां महामाया मंदिर के लिए पैदल ही निकला। सीपत चौक, कोनी, सेंदरी, गतौरी होते हुए मां महामाया मंदिर रतनपुर पहुंचे। टोलियों में भक्त जयकारे लगाते हुए माता के दरबार तक मध्यरात्रि में पहुंचा। रात भर भक्त मां महामाया के दरबार पहुंचते रहे और माता के दर्शन मध्यरात्रि में करते हुए सुख-समृद्धि की कामना करते रहे। इस दौरान मंदिर में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु नजर आए। माता की जयकारे करते हुए हर कोई माता के समक्ष मत्था टेकता रहा।
जगह-जगह किया गया स्वागत: पैदल यात्रियों का स्वागत जगह-जगह किया गया। सरकण्डा, कोनी, सेंदरी, रमतला, रानी गांव सहित अलग-अलग जगहों पर भक्तों का स्वागत-सत्कार किया गया। उनका मनोबल बढ़ाने के लिए चाय-कॉफी, शरबत, मिठाई, सूखे मेवे सहित कई तरह के फल बांटे गए।
कर नापते रहे भक्त: मां महामाया के दरबार में कर नापते हुए व घुटने के बल चलकर भी लोग पहुंचे। आस्था का जन सैलाब माता के दरबार में नजर आया। वहीं कुछ अपने परिवार के साथ माता के दर्शन रात्रि में करने पैदल ही मंदिर तक पहुंचे।
आज होगा मां महामाया का राजसी शृंगार: आदिशक्ति मां महामाया मंदिर में रविवार को अष्टमी नवमीं की पूजा की जाएगी। इसके साथ ही माता का राजसी शृंगार नवमीं के अवसर पर किया जाएगा। माता को स्वर्ण के आभूषणों से सजाया जाएगा। मंदिर ट्रस्ट के वरिष्ट उपाध्यक्ष पंडित सतीश शर्मा ने बताया कि नवमीं के दिन माता का राजसी शृंगार किया जाता है। उनका भोग व प्रसाद भी राजसी ही होता है। नवरात्रि में नवमीं के दिन ही माता का यह अलौकिक शृंगारित रूप भक्तों को देखने मिलता है।

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