सटीक जानकारी नहीं मिलने के कारण बदले बाघों की गणना के तरीके : प्रदेश में अब तक पारंपरिक तरीके से ही बाघों की गणना होती रही है। बाघों के पंजे, पद चिन्ह, और मल के आधार पर संख्या तय होती रही है। प्रदेश में 46 बाघों की मौजूदगी होने का दावा किया जाता रहा है। अब फोटोग्राफी और फूटेेज के आधार पर बाघों की गणना होने से संख्या बदल सकती है। वाइल्ड लाइफ के एक्सपर्ट मानते हैं पद चिन्ह और मल से कई बार सटीक जानकारी नहीं मिल पाती।
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टे्रनिंग कैम्प का होगा आयोजन : इस बार बाघों की गणना पारंपरिक तरीके से नहीं होगी। बल्कि सीसीटीवी फुटेज व फोटोग्राफ्स दिखाने होंगे। इस आधार पर ही बाघों की असल मायने में संख्या तय हो पाएगी। इसके लिए कान्हा में ट्रेनिंग कैम्प आयोजित किया गया है।
मनोज पांडेय, डीएफओ एटीआर