कलेक्टर पी. दयानंद जनदर्शन में मौजूद थे। उन्होंने मीडिया कर्मियों को वीडियो बनाने से मना कर दिया। अपने गनमैन को बुलाकर मीडिया कर्मी को पकडऩे के आदेश दिए। जबकि मीडिया कर्मी सामान्य तरीके से उनके जनदर्शन का समाचार ही कवर कर रहे थे। इसके बावजूद कलेक्टर ने मीडिया कर्मियों पर खीझ उतारी। गौरतलब है कि सीएम रमनसिंह ने हर जिले में कलेक्टरों को जनदर्शन आयोजित कर आम जनता की समस्याओं के निराकरण की हिदायत दे रखी है। तब से हर जिले में कलेक्टर जनदर्शन चल रहा है। लेकिन बिलासपुर जिले में आयोजित अधिकांश जनदर्शन में कलेक्टर नहीं रहते। कभी मौजूद भी रहते हैं, तो कुछ देर बाद ही अधीनस्थ अफसरों के भरोसे सबकुछ छोड़कर चले जाते हैं। इधर अधीनस्थ अफसर केवल खानापूर्ति करके जनदर्शन निपटा देते हैं।
कलेक्टर मिले नहीं, फोन पर बात भी नहीं की: इस संबंध में कलेक्टर पी. दयानंद से उनके सेलफोन पर कई बार संपर्क किया गया। उनका पक्ष जानने के लिए सेलफोन पर मैसेज भी किया गया। लेकिन उन्होंने न तो मोबाइल रिसीव किया, न ही मैसेज का जवाब दिया।
कलेक्टर मिले नहीं, फोन पर बात भी नहीं की: इस संबंध में कलेक्टर पी. दयानंद से उनके सेलफोन पर कई बार संपर्क किया गया। उनका पक्ष जानने के लिए सेलफोन पर मैसेज भी किया गया। लेकिन उन्होंने न तो मोबाइल रिसीव किया, न ही मैसेज का जवाब दिया।
पूर्व कलेक्टर जनदर्शन में पूरा वक्त देते रहे : पूर्व कलेक्टर ठाकुर रामसिंह, सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, अंबलगन पी. कलेक्टर जनदर्शन में पूरा वक्त देते रहे। लोगों की समस्याएं सुनते रहे। लोगों की समस्याओं के समाधान के रास्ते भी निकालते रहे। जिनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता था, उसकी वजह भी स्पष्ट बताई जाती थी। सभी विभागों के अधिकारी मौजूद रहते थे। लेकिन अब आयोजित हो रहे जनदर्शन में इक्के-दुक्के विभाग के अधिकारी ही नजर आते हैं।
विरोध शुरू हुआ इस रवैये का, मंत्री बोले- बात करता हूं उनसे : यदि एेसा है तो गलत है। कलेक्टर जनता के सेवक हैं, आमजन अपनी समस्या लेकर उनके पास जाते हैं ताकि वे उनकी समस्या सुनकर संबंधित अफसरों को उसके निदान के लिए निर्देश दें। मैं खुद इस मामले में कलेक्टर से बात करूंगा।
अमर अग्रवाल, मंत्री, नगरीय प्रशासन विभाग
विरोध शुरू हुआ इस रवैये का, मंत्री बोले- बात करता हूं उनसे : यदि एेसा है तो गलत है। कलेक्टर जनता के सेवक हैं, आमजन अपनी समस्या लेकर उनके पास जाते हैं ताकि वे उनकी समस्या सुनकर संबंधित अफसरों को उसके निदान के लिए निर्देश दें। मैं खुद इस मामले में कलेक्टर से बात करूंगा।
अमर अग्रवाल, मंत्री, नगरीय प्रशासन विभाग
आम जनता में फैल जाएगी दहशत : जनदर्शन में शिकायत लेकर पहुंचने वाले को जेल भेजना अनुचित है। इससे तो आम जनता में दशहत फैल जाएगी। ऐसा करना तो प्रशासनिक आतंकवाद है। कलेक्टर की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया जाएगा।
सियाराम कौशिक, विधायक बिल्हा
कलेक्टर को ऐसा नहीं करना चाहिए : जनदर्शन आम जनता की समस्या सुनने के लिए रखा जाता है। पहले उसकी समस्या सुनते उसकी जांच कराते उसके बाद गलत पाए जाने पर कार्रवाई करते। लेकिन फरियाद करने पर ही युवक को जेल भेज देना अनुचित है। कलेक्टर को एेसा नहीं करना चाहिए।
नरेंद्र बोलर, अध्यक्ष, शहर कांग्रेस
ऐसा कलेक्टर पहली बार देखा :जिले में पहली बार किसी कलेक्टर ने एेसा कृत्य किया। जिले की जनता को घंटों मिलने के लिए इंतजार कराते हैं। फिर उनसे बगैर मिले चले जाते हैं। जिले में एेसा कलेक्टर पहली बार आया है।
डॉ. सोमनाथ यादव, पूर्व अध्यक्ष, छग राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग
सियाराम कौशिक, विधायक बिल्हा
कलेक्टर को ऐसा नहीं करना चाहिए : जनदर्शन आम जनता की समस्या सुनने के लिए रखा जाता है। पहले उसकी समस्या सुनते उसकी जांच कराते उसके बाद गलत पाए जाने पर कार्रवाई करते। लेकिन फरियाद करने पर ही युवक को जेल भेज देना अनुचित है। कलेक्टर को एेसा नहीं करना चाहिए।
नरेंद्र बोलर, अध्यक्ष, शहर कांग्रेस
ऐसा कलेक्टर पहली बार देखा :जिले में पहली बार किसी कलेक्टर ने एेसा कृत्य किया। जिले की जनता को घंटों मिलने के लिए इंतजार कराते हैं। फिर उनसे बगैर मिले चले जाते हैं। जिले में एेसा कलेक्टर पहली बार आया है।
डॉ. सोमनाथ यादव, पूर्व अध्यक्ष, छग राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग
फार्मासिस्ट को जमानत नहीं दी, दूसरे दिन दस्तावेज ही नहीं लिए : प्रतिबंधात्मक धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजे गए फार्मासिस्ट वैभव शास्त्री को दूसरे दिन भी जमानत नहीं मिली। सिटी मजिस्टे्रट न्यायालय ने जमानत दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया। पहले दिन भी सिटी मजिस्टे्रट ने सक्षम जमानदार नहीं होने की बात कहकर जेल भेज दिया था। जनदर्शन में कलेक्टर पी. दयानंद के समक्ष फार्मासिस्ट वैभव शास्त्री मंथन सभाकक्ष में शासन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं करने वाले दवा दुकानों के खिलाफ आवेदन देने गया था। कलेक्टर ने उसे प्रतिबंधात्मक धारा 151 के तहत गिरफ्तार करवा दिया। इसके बाद सिटी मजिस्टे्रट के न्यायालय में पेश किया गया। सोमवार को नियमित सिटी मजिस्टे्रट केएस पैकरा पेशी में कोरबा गए थे। उनके स्थान पर लिंक सिटी मजिस्टे्रट दिलेराम डाहिरे थे। उन्होंने ‘सक्षम जमानतदार नहीं होने का हवाला देकर वैभव शास्त्री जेल भेज दिया। ऋण पुस्तिका के साथ पी-1 व पी-2 लाने के लिए कहा। मंगलवार को ये दस्तावेज पेश किए गए तो जमानती अर्जी लेने से ही इनकार कर दिया।
थाने में हंगामा पर इस्तगासा पेश किया : डिप्टी कलेक्टर दिलेराम डाहिरे ने बातचीत में बताया कि फार्मासिस्ट वैभव शास्त्री को सरकंडा थाने में हंगामा मचाने पर पुलिस ने गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ धारा 151 के तहत इस्तगासा पेश किया गया। उसने सक्षम जमानतदार पेश नहीं किया था। इसलिए जेल भेजा गया। सरकंडा थाने में कब हंगामा और किस समय किया, किस बात के लिए किया, इन सवालों का वे जवाब नहीं दे पाए।
24 घंटे और रहने दो जेल में: सिटी मजिस्टे्रट केएस पैकरा ने फार्मासिस्ट के अधिवक्ता को दो टूक कहा- 24 घंटे और जेल में रहने दो। उसके वकील ने उसके कॅरियर का हवाला दिया। धारा 151 में पर्याप्त सजा बताया गया। सिटी मजिस्टे्रट ने वकील की बात अनसुनी कर दी।
रीडर ने दस्तावेज नहीं लिए: सिटी मजिस्टे्रट कार्यालय की रीडर सुषमा ताम्रकार को अधिवक्ता ने जमानत के लिए मांगे गए दस्तावेज पी-1 व पी-2 फार्मासिस्ट की जमानत फाइल में जमा करने के लिए दिए। वकील ने बताया कि रीडर ने यह दस्तावेज लेने से इनकार दिया।
कहा-देखते हैं, लेकिन देखा नहीं: फार्मासिस्ट के अधिवक्ता हेमंत दिघ्रस्कर ने मंगलवार को दोपहर वैभव शास्त्री को जमानत देने की वकालत की। सिटी मजिस्टे्रट ने थोड़ी देर बाद देखने की बात कही, लेकिन देखा नहीं।
24 घंटे और रहने दो जेल में: सिटी मजिस्टे्रट केएस पैकरा ने फार्मासिस्ट के अधिवक्ता को दो टूक कहा- 24 घंटे और जेल में रहने दो। उसके वकील ने उसके कॅरियर का हवाला दिया। धारा 151 में पर्याप्त सजा बताया गया। सिटी मजिस्टे्रट ने वकील की बात अनसुनी कर दी।
रीडर ने दस्तावेज नहीं लिए: सिटी मजिस्टे्रट कार्यालय की रीडर सुषमा ताम्रकार को अधिवक्ता ने जमानत के लिए मांगे गए दस्तावेज पी-1 व पी-2 फार्मासिस्ट की जमानत फाइल में जमा करने के लिए दिए। वकील ने बताया कि रीडर ने यह दस्तावेज लेने से इनकार दिया।
कहा-देखते हैं, लेकिन देखा नहीं: फार्मासिस्ट के अधिवक्ता हेमंत दिघ्रस्कर ने मंगलवार को दोपहर वैभव शास्त्री को जमानत देने की वकालत की। सिटी मजिस्टे्रट ने थोड़ी देर बाद देखने की बात कही, लेकिन देखा नहीं।
दवा लॉबी का खेल : फार्मासिस्ट वैभव शास्त्री ने काफी अरसे से दवा दुकानों में शासन के नियमों के तहत फार्मासिस्ट नहीं होने पर दुकानदारों के खिलाफ मुहिम चलाई हुई है। उसकी शिकायत पर पूर्व में सरकंडा की एक दर्जन दुकानों को एक दिन के सील भी किया गया था। लेकिन इसके बाद दवा विक्रेताओं के संगठन ने उस कंपनी पर दबाब बनाया, जहां वैभव नौकरी करता था। संबंधित कंपनी की दवाओं के विक्रय का बहिष्कार करने की चेतावनी देकर फार्मासिस्ट से इस्तीफा लिखवाया गया। फार्मासिस्ट व दवा विक्रेता संघ ने एक- दूसरे के खिलाफ सरकंडा व सिटी कोतवाली थाने में शिकायत की थी। दवा संघ के पदाधिकारियों ने मंत्री अमर अग्रवाल को उसे गिरफ्तार करने के लिए ज्ञापन सौंपा था। इसके बाद फार्मासिस्ट वैभव शास्त्री ने सोशल मीडिया पर दवा विक्रेताओं, औषधि प्रशासन के अफसरों के खिलाफ मुहिम चला रखी थी। एेसा माना जा रहा कि दवा लॉबी के दबाव में कलेक्टर ने फार्मासिस्ट की गिरफ्तारी कराई।
बिल्हा में राजेंद्र के आत्मदाह की याद ताजा हो गई : बिल्हा के तत्कालीन एसडीएम अर्जुन सिंह सिसोदिया द्वारा प्रतिबंधात्मक धारा में बिल्हा के युवक कांगे्रस नेता राजेंद्र तिवारी को जमानत के लिए इतना परेशान किया गया कि उसने एसडीएम कार्यालय के सामने आत्मदाह कर लिया था। मृत्युपूर्व बयान में उसने बताया था कि बार-बार पेशी की तारीख बढ़ाने और केस समाप्त करने के लिए लिपिक द्वारा घूस मांगने से त्रस्त होकर यह कदम उठाया है। इसी प्रकार ग्राम सेवती के जीवन लाल मनहर को प्रतिबंधात्मक धारा में जेल भेज दिया था। उसकी जेल में मौत हो गई थी।
बिल्हा में राजेंद्र के आत्मदाह की याद ताजा हो गई : बिल्हा के तत्कालीन एसडीएम अर्जुन सिंह सिसोदिया द्वारा प्रतिबंधात्मक धारा में बिल्हा के युवक कांगे्रस नेता राजेंद्र तिवारी को जमानत के लिए इतना परेशान किया गया कि उसने एसडीएम कार्यालय के सामने आत्मदाह कर लिया था। मृत्युपूर्व बयान में उसने बताया था कि बार-बार पेशी की तारीख बढ़ाने और केस समाप्त करने के लिए लिपिक द्वारा घूस मांगने से त्रस्त होकर यह कदम उठाया है। इसी प्रकार ग्राम सेवती के जीवन लाल मनहर को प्रतिबंधात्मक धारा में जेल भेज दिया था। उसकी जेल में मौत हो गई थी।