Swine Flu Alert: बिलासपुर में स्वाइन फ्लू का कहर, फिर एक मरीज की हुई मौत, 5 नए संक्रमित आए सामने
Swine Flu Alert: बिलासपुर में एक बार फिर स्वाइन फ्लू का कहर बढ़ने लगा है। हाल ही में फिर एक मरीज की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई, जबकि 5 संक्रमित सामने आ चुके हैं। स्वाइन फ्लू के बढ़ते खतरे ने स्वास्थ विभाग के साथ साथ आम लोगों की टेंशन बढ़ा दी है।
Swine Flu Alert: बिलासपुर जिले में स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। रोजाना इसके संक्रमित मिलते जा रहे हैं। साथ ही इससे मौत के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। आलम ये है कि लगातार चौथे दिन फिर एक संक्रमित महिला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इधर पांच और नए मरीज मिल गए हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। विभाग दावे तो कर रहा है कि अस्पतालों में इलाज को लेकर पुता इंतजाम हैं, पर यह संक्रमण ही न फैले इसके लिए ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
जिले में स्वाइन फ्लू का प्रकोप अब स्वास्थ्य विभाग पर भारी पड़ता जा रहा है। लगातार इसके मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। साथ ही मौत के आंकड़े भी तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले चार दिन से एक-एक मौत हो रही है। शनिवार को भी सरकंडा निवासी 64 वर्षीय महिला की मौत हो गई। सर्दी-खांसी, बुखार व स्वांस लेने में परेशानी होने पर इनका इलाज शुरू हुआ, पर राहत न मिलने पर सिस में चेकअप के लिए गए।
यहां इन्हें स्वाइन लू की जांच के लिए भेजा गया। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इस पर इन्हें सिस में ही भर्ती किया गया। इलाज चलता रहा, पर तबीयत में कोई सुधार न हुआ और अंतत: शनिवार को इनकी मौत हो गई। इस तरह अब तक जिले में स्वाइन फ्लू पॉजिटिव 9 मरीजों की मौत (Swine Flu Alert) हो चुकी है। दूसरी ओर इसके 5 नए संक्रमित फिर से मिल गए हैं। वर्तमान में 46 मरीजों का इलाज चल रहा है।
इलाज के लिए अस्पतालों में पुता इंतजाम का दावा
स्वाइन फ्लू की बीमारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में पुता इंतजाम किा दावा कर रहा है। सीएमएचओ डॉ.प्रभात श्रीवास्तव का कहना है कि मेडिकल कॉलेज सिस, जिला अस्पताल, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आइसोलेशन वार्ड, दवाइयां व आक्सीजन सिलेंडर की पूरी सुविधा उपलब्ध है। जरूरत पड़ने पर मरीजों को बड़े अस्पतालों में भेजने एंबुलेंस की व्यवस्था है। स्वाइन फ्लू संबंधी जानकारी के लिए हेल्प लाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। लेकिन स्वास्थ्य अमले को डोर-टु-डोर जो सर्वे करना चाहिए, नहीं किया जा रहा है। जिससे विभाग के सारे दावे फेल होते नजर आ रहे हैं।
कांटेक्ट ट्रेसिंग की अनदेखी
स्वास्थ्य विभाग पीड़ित व्यक्ति के परिजनों व संपर्कियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग के नाम पर महज औपचारिकता निभा रहा है। नया संक्रमित मिलने पर या तो फोन के माध्यम से परिजनों से पूछताछ की जा रही कि मरीज कहीं गया तो नहीं था, या किसी बीमार के संपर्क में तो नहीं आया था। और फिर उन्हें भी सर्दी-खांसी, बुखार होने पर अस्पताल जाकर स्वाइन फ्लू की जांच कराने कह दिया जा रहा है।
जबकि होना ये चाहिए कि स्वाइन फ्लू से मौत के बाद स्वास्थ्य अमले को बाकायदा पीड़ित परिवार के सदस्यों व पड़ोसियों से मिल कर कांटेक्ट ट्रेसिंग के मद्देनजर जांच कराना चाहिए। इस बीच अस्पताल जाने असमर्थों को स्पॉट पर ही जांच सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। ऐसा न होने भी कहीं न कहीं इस संक्रमण को बढ़ा रहा है। बता दें कि इसे लेकर पत्रिका टीम ने पिछले दिनों मृतक के परिजनों से मिल कर हकीकत भी जानी थी।
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फैक्ट फाइल
शनिवार को नए संक्रमित मिले 05 शनिवार को मौत 01 अब तक जिले के 09 संक्रमितों की मौत कुल डिस्चार्ज मरीज 102 वर्तमान में कुल एक्टिव मरीज 46
सामान्य बुखार जैसा ही होता है। शरीर में दर्द , सर्दी , बलगम की शिकायत के साथ बुखार आता है तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक होता है। जिले मे स्वाइन फ्लू से होने वाले मृत्यु के पीछे कई बीमारियां जो पहले से ही मरीजों को होती हैं और देर से चिकित्सा सुविधा लेना आरंभ करते हैं, तब तक ऐसे में स्वाइन फ्लू से मृत्यु हो जाती है। लिहाजा उक्त लक्षण मिलते ही डॉक्टरों से उपचार लेना चाहिए।
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए भीड़ से दूर रहें, सार्वजनिक स्थानों पर थूकने-छींकने से बचें, मास्क का उपयोग करें , दूरी बनाकर रखें । सर्दी , खॉसी, बुखार होने पर प्रथम 72 घंटे में आराम नहीं होने पर स्वाइन फ्लू की जॉच अवश्य कराएं।
Swine Flu Alert: स्वाइन फ्लू से डरे नहीं, घबराहट में मौत, सतर्कता से बचती है जान: डॉ.भारद्वाज
स्वाइन फ्लू के प्रति अत्यधिक डर और घबराहट से बचना चाहिए। बिना जानकारी दवाओं का उपयोग करने से बचना चाहिए। यह बीमारी कोई नई वायरस नहीं है। हमारे बीच हमेशा यह विचरण करते रहती है। जिसकी इयूनिटी कमजोर उसे ये ग्रसित कर लेती है। स्वाइन फ्लू कोई घातक बीमारी नहीं है। लेकिन घबराहट और सतर्कता नहीं करने से मौत भी हो सकती है। यह बाते सिस के टीवी एंड चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. पुनित भारद्वाज ने बताई।
2008 से अब तक सिस सरकारी अस्पताल में केवल एक मौत, 99 प्रतिशत रिकवरी दर
सिस में रिकवरी दर 99 प्रतिशत सीएमएचओ कार्यालय से मिले रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2008 से लेकर अब तक 15 सालों में सिस अस्पताल में स्वाइन फ्लू से एक मरीज की मौत हुई है। 2013 में बलौदा बाजार निवासी एक मरीज ने यहां दम तोड़ा था। सिस अस्पताल की 99 प्रतिशत रिकवरी दर ने यह साबित कर दिया है कि सही और समय पर चिकित्सा देखभाल से स्वाइन फ्लू को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।
लक्षण दिखे तो तत्काल पहुंचे अस्पताल स्वाइन फ्लू जिसे एच1 एन 1 इन्लूएंजा वायरस के कारण होता है, आमतौर पर बुखार, खांसी, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और थकावट जैसे लक्षणों के साथ शुरू होता है। डॉ. भारद्वाज ने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षण अक्सर सामान्य फ्लू से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन अगर लक्षण गंभीर हो जाएं या लंबे समय तक बने रहें, तो तत्काल चिकित्सा सलाह लेना आवश्यक है।
डर और घबराहट से बचें: डॉ. भारद्वाज ने स्वाइन लू के प्रति घबराहट और डर से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि घबराहट न केवल स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है बल्कि स्थिति को भी और जटिल बना सकती है। सही समय पर चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने से गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
सतर्कता का महत्व: स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। हल्के लक्षणों की अनदेखी करने की बजाय चिकित्सा सलाह लेना बेहतर है। जल्दी उपचार से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और गंभीर परिस्थितियों से बच सकते हैं।
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