यह भी पढ़ें : पहला चरण: 20 सीटों के लिए अब तक सात नामांकन ३ वर्ष पहले शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में आधा दर्जन बनाए गए थे एसएलआरएम सेंटर महिला समूहों को प्रशिक्षण न देने से मशीनें बन गईं शोपीस
नगर निगम सीमा क्षेत्र का वर्ष 2019 में विस्तार करते हुए 1 नगर पालिका परिषद, 2 नगर पंचायत और 15 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया था। नए क्षेत्रों में कचरा कलेक्शन के लिए नगर निगम ने स्वयं के टिपर वाहनों की व्यवस्था की थी। साथ ही करीब 3 वर्ष पूर्व नए क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे से वर्मी कंपोष्ट खाद बनाने के लिए शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में आधा दर्जन एसएलआरएम बनावाए थे।
इसकी जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को दी गई थी। टिपर वाहनों से लाए गए कचरे को महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं कचरे से कबाड़ को अलग करने के बाद कबाड़ को बोरियों में भरकर एक किनारे रखने और कचरे को सेंटर परिसर में एक किनारे डंप करना शुरू किया। यह काम महिलाएं पिछले 3 वर्षों से करती आ रही हैं। कचरे को यहां के अधिकारी शहर से बचरा कलेक्शन करने वाली ठेका कंपनी रामकी को बेच रहे हैं । दूसरी ओर कबाड़ को बेचकर महिलाएं आपस में राशि का बंटवारा कर आजीविका चला रही हैं।
यह भी पढ़ें : Online Satta : जेल से छूटने के बाद फिर चलाने लगा क्रिकेट का ऑनलाइन सट्टा, तीन गिरफ्तार नगर निगम सीमा क्षेत्र का वर्ष 2019 में विस्तार करते हुए 1 नगर पालिका परिषद, 2 नगर पंचायत और 15 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया था। नए क्षेत्रों में कचरा कलेक्शन के लिए नगर निगम ने स्वयं के टिपर वाहनों की व्यवस्था की थी। साथ ही करीब 3 वर्ष पूर्व नए क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे से वर्मी कंपोष्ट खाद बनाने के लिए शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में आधा दर्जन एसएलआरएम बनावाए थे।
इसकी जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को दी गई थी। टिपर वाहनों से लाए गए कचरे को महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं कचरे से कबाड़ को अलग करने के बाद कबाड़ को बोरियों में भरकर एक किनारे रखने और कचरे को सेंटर परिसर में एक किनारे डंप करना शुरू किया। यह काम महिलाएं पिछले 3 वर्षों से करती आ रही हैं। कचरे को यहां के अधिकारी शहर से बचरा कलेक्शन करने वाली ठेका कंपनी रामकी को बेच रहे हैं । दूसरी ओर कबाड़ को बेचकर महिलाएं आपस में राशि का बंटवारा कर आजीविका चला रही हैं।
यह भी पढ़ें : सीमा की नाकेबंदी देखने आधी रात निकले आईजी, थाने का भी किया निरीक्षण खाद बनाने प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया एसएलआरएम सेंटरों में महिला स्वसहायता समूहों की महिलाओं को आज तक खाद बनाने की ट्रेनिंग नहीं दी है। यही कारण है कि मशीन दो महीने पहले आ गई, लेकिन प्रशिक्षित नहीं होने के कारण खाद बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया।
2 महीने पहले आई मशीन, लेकिन काम शुरू नहीं… शहर के आधा दर्जन एसएलआरएम सेंटरों में नगर निगम ने राज्य शासन से 2 महीने पहले मिली वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने वाली मशीन को रखवा दिया है। इस मशीन का उपयोग आज तक नहीं किया गया।
डंप कचरे से लोग परेशान… मंगला एसएलआरएम सेंटर परिसर में ही एक सप्ताह तक कचरा डंप रखा जा रहा है। यहां सप्ताह में एक बार ठेका कंपनी का वाहन आकर कचरा लेकर जाता है। इस दौरान डंप कचरे से लगातार उठती बदबू से आसपास के लोग परेशान हैं। उनकी शिकायत पर अब तक निगम अधिकारियों ने वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है।
&नए क्षेत्रों से कचरा कलेक्शन के लिए रामकी कंपनी को ठेका नहीं मिला है। वहां का गीला कचरा ठेका कंपनी के वाहनों से कछार भेजा जाता है। एसएलआरएम सेंटरों में खाद बनाई जा रही है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है।
– अनुपम तिवारी, प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम &एसएलआरएम सेंटरों में खाद बनाने के निर्देश राज्य शासन ने जारी किए हैं, ऐसा नहीं हो रहा है तो यह गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी।
– शेख नजीरूद्दीन, अध्यक्ष, नगर निगम