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Raut Naacha Mahotsav: घर-घर जाकर राउत नाचा का प्रदर्शन
Raut Naacha Mahotsav: देवउठनी एकादशी के दिन से ही यदुवंशी पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर घर-घर जाकर राउत नाच का प्रदर्शन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण से लोगों की सुख-शांति व समृद्धि की कामना करते हैं। पहले इस नृत्य को यदुवंशी छोटी-छोटी टोली बना कर घर-घर जाकर करते थे। इसे समारोह के रूप में संजोने का काम बिलासपुर के डॉ. कालीचरण यादव ने किया। Raut Naacha Mahotsav: उन्होंने बताया कि पहले राउत टोलियां बड़ी संख्या में गांवों से शहर पहुंचती थीं। मन में विचार आया कि क्यों न इस प्राचीन पारंपरिक नृत्य शैली को एक मंच दिया जाए। इसके लिए वर्ष 1978 को देवउठनी एकादशी के बाद एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। टोलियों को आमंत्रित करने पुरस्कार भी रखे गए। साल-दर-साल इस उत्सव को लेकर यदुवंशियों का उत्साह बढ़ता गया और आज यह देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी आभा बिखेर रहा है।
दोहों के जरिए जागरुकता
रिटायर्ड शिक्षक डॉ. कालीचरण ने बताया कि राउत महोत्सव के दौरान दोहों का एक अलग महत्व है। राउत की टोलियां तुलसीदास, कबीरदास के दोहों के माध्यम से समाज को जागरुकता का संदेश भी देते है। इन दोहों में प्रचलित दोहे भी रहते हैं, जिनमें सामयिक मुद्दों की झलक भी दिखती है। इस महोत्सव की जब शुरुआत हुई थी, तब जिले के कुछ ही टोलियां ‘ गोल’ शामिल हुई थीं। साल-दर-साल इनकी संख्या बढ़ती चली गई। वर्तमान में बिलासपुर संभाग ही नहीं रायपुर से भी 100 से ज्यादा नाचा टोलियां यहां पहुंच कर पारंपरिक नृत्य व शौर्य का प्रदर्शन कर रही हैं। यह महोत्सव हर साल लालबहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में होता है। इसमें शामिल दलों को प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत भी किया जा रहा है।