बिलासपुर

‘जीएसटी को जानने और समाधान के लिए क्वेश्चन व आंसर सेशन जरूरी’

Bilaspur News: गुड्स एंड सर्विस टैक्स‘ जीएसटी’ यानी वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम को लागू हुए 6 साल हो गए, अभी तक आम जनता तो क्या ज्यादातर व्यापारियों तक को यह समझ में नहीं आया है।

बिलासपुरOct 14, 2023 / 01:08 pm

Khyati Parihar

‘जीएसटी को जानने और समाधान के लिए क्वेश्चन व आंसर सेशन जरूरी’

बिलासपुर। Chhattisgarh News: गुड्स एंड सर्विस टैक्स‘ जीएसटी’ यानी वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम को लागू हुए 6 साल हो गए, अभी तक आम जनता तो क्या ज्यादातर व्यापारियों तक को यह समझ में नहीं आया है। एक बार व्यापारी न समझें तो चल जाएगा, पर ग्राहकों के लिए इसे समझना बेहद जरूरी है, ताकि वे ठगाएं न। इसे लेकर लोगों का कहना है कि समय-समय पर क्वेश्चन-आंसर सेशन होने चाहिए, ताकि सारी शंकाओं का समाधान हो सके और टैक्स के प्रति जागरुकता आए।
देश भर में जीएसटी का पैटर्न 1 जुलाई 2017 में लागू हुआ। इस लिहाज से अब 6 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन इसके नियम-कानून को लेकर अभी भी आम जनता ही नहीं ज्यादातर व्यापारी भी अनभिज्ञ हैं। दरअसल यह वस्तु एवं सेवा कर है, जिसे जनता को किसी भी सामान खरीदने या सेवा के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से भुगतान करना पड़ता है। जबकि व्यापारी कलेक्शन एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। लिहाजा दोनों को इस संबंध में जानना जरूरी है। इसे लेकर एक ओर जहां लोगों का मानना है कि इस संबंध में समय-समय पर जागरुकता अभियान के साथ ही क्विज होने चाहिए, जिससे लोगों को आसानी से इसके हर पहलुओं की जानकारी हो सके।
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देश के विकास में मददगार राजस्व

व्यापारियों के अनुसार जीएसटी देश के विकास के लिए राजस्व का अच्छा स्त्रोत है। शुरुआत में इससे 80 हजार करोड़ रुपए इकट्ठा हुआ था। अब हर साल औसतन 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए इकट्ठे हो रहे हैं। आगामी वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपए का दायरा पार करने की उम्मीद है।
ग्राहकों को इसकी जानकारी होना बेहद जरूरी, ताकि ठगे न जाएं

सीए रोहित सलूजा के अनुसार कर दाता मुख्य रूप से ग्राहक होता है। व्यापारी तो कलेक्शन एजेंट की भूमिका में होते हैं। ऐसे व्यापारी जिनका सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपए से कम है, वे कंपोजीशन विकल्प को चुनते हैं, ताकि कई तरह के फायदे मिल सकें। ऐसे व्यापारियों को 1 प्रतिशत कर स्वयं अपनी जेब से शासन को कर देना होता है, लेकिन होटल जैसे व्यवसाय में इसका गलत फायदा उठाया जा रहा है।
@ टॉपिक एक्सपर्ट

वाकई 6 साल बाद भी जीएसटी के बारे में बहुत से लोग अभी भी अनभिज्ञ हैं। लिहाजा जीएसटी डिपार्टमेंट को हर तीन माह में क्वेश्चन-आंसर सेशन आयोजित करना चाहिए। यह ग्राहकों के साथ ही व्यापारियों के लिए भी एक अच्छा मंच होगा। इसमें संबंधित अधिकारी सभी पहलुओं की जानकारी दें, साथ ही जिन्हें इसे लेकर कोई शंका है, उसका भी समाधान करें। – हरीश केडिया, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ लघु उद्योग एवं सहायक संघ।
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व्यापारियों के सामने ये हैं प्रमुख समस्याएं व मांगें…

– जीएसटी कानून के प्रावधान लगातार कठिन होते जा रहे हैं, लिहाजा कर नियमों का अनुपालन कठिन होता जा रहा है। इसे सरलीकृत किया जाए
– मासिक आधार पर इनपुट क्रेडिट की गणना एवं उसका रिकार्ड रखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
– जीएसटी प्रणाली में ब्याज की गणना के प्रावधान को बदलने की जरूरत है। अभी काफी पेचीदा है।
– ई-इनवाइसिंग के 1 अगस्त 2023 से 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों पर लागू किए गए प्रावधान वापस लिए जाएं
– ई-इनवाइसिंग की स्थिति में खरीदार को इनपुट अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए
– जीएसटी के प्रारंभिक वर्षों एवं कोरोनाकाल को दृष्टिगत रखते हुए छूटी हुई इनपुट टैक्स क्रेडिट या इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में हुई त्रुटि को सुधारने एक अवसर प्रदान करें।
– यदि किसी व्यापारी का जीएसटी नंबर किसी कारण रद्द हो गया है तो ऐसे व्यापारी को पुन: सभी जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के लिए एक अतिरिक्त अवसर दिया जाना चाहिए
– कृषि उपकरणों पर जीएसटी 12 से 18 प्रतिशत है, इसमें 5 प्रतिशत कर की दर की जानी चाहिए।
– जीएसटी में केक और पेस्ट्री का 18 प्रतिशत दर, जबकि मिठाई को 5 प्रतिशत स्लैब में रखा गया है। जबकि सभी आइटम्स में मैदा, घी, शक्कर का उपयोग होता है। सभी आइटम्स को 5 प्रतिशत कर के दायरे में रखा जाए।
– एक व्यवसाय, एक कर की नीति लागू हो।
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