अपनी दादी से सीखें राहुल, वो कहती थीं जात-पात से रहो दूर
देश के विकास में मददगार राजस्व व्यापारियों के अनुसार जीएसटी देश के विकास के लिए राजस्व का अच्छा स्त्रोत है। शुरुआत में इससे 80 हजार करोड़ रुपए इकट्ठा हुआ था। अब हर साल औसतन 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए इकट्ठे हो रहे हैं। आगामी वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपए का दायरा पार करने की उम्मीद है।बच्ची और किशोरी के साथ दुष्कर्म के आराेपियों को आजीवन कारावास
व्यापारियों के सामने ये हैं प्रमुख समस्याएं व मांगें… – जीएसटी कानून के प्रावधान लगातार कठिन होते जा रहे हैं, लिहाजा कर नियमों का अनुपालन कठिन होता जा रहा है। इसे सरलीकृत किया जाए– मासिक आधार पर इनपुट क्रेडिट की गणना एवं उसका रिकार्ड रखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
– जीएसटी प्रणाली में ब्याज की गणना के प्रावधान को बदलने की जरूरत है। अभी काफी पेचीदा है।
– ई-इनवाइसिंग के 1 अगस्त 2023 से 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों पर लागू किए गए प्रावधान वापस लिए जाएं
– ई-इनवाइसिंग की स्थिति में खरीदार को इनपुट अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए
– जीएसटी के प्रारंभिक वर्षों एवं कोरोनाकाल को दृष्टिगत रखते हुए छूटी हुई इनपुट टैक्स क्रेडिट या इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में हुई त्रुटि को सुधारने एक अवसर प्रदान करें।
– यदि किसी व्यापारी का जीएसटी नंबर किसी कारण रद्द हो गया है तो ऐसे व्यापारी को पुन: सभी जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के लिए एक अतिरिक्त अवसर दिया जाना चाहिए
– कृषि उपकरणों पर जीएसटी 12 से 18 प्रतिशत है, इसमें 5 प्रतिशत कर की दर की जानी चाहिए।
– जीएसटी में केक और पेस्ट्री का 18 प्रतिशत दर, जबकि मिठाई को 5 प्रतिशत स्लैब में रखा गया है। जबकि सभी आइटम्स में मैदा, घी, शक्कर का उपयोग होता है। सभी आइटम्स को 5 प्रतिशत कर के दायरे में रखा जाए।
– एक व्यवसाय, एक कर की नीति लागू हो।