यह भी पढें : CG Admission : रेडी रखें जरूरी डॉक्यूमेंट, GGU में तीसरे चरण की काउंसलिंग 16 अगस्त को , जानें कितनी सीट हैं खाली हैंड्स ग्रुप के अभिषेक विधानी बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2014 में अपने एनजीओ के माध्यम से लोगों को अंग दान के लिए प्रेरित करने की शुरुआत की थी। उस वक्त लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतिया थीं।
जैसे अगर आंख दान कर दिया तो अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे, मरने के बाद आंखे निकल ली गईं तो देखने में भद्दा लगेगा। उनकी टीम लगातर लोगों को प्रेरित करने में लगी रही। जिसके फलस्वरुप आज शहरवासियों के बीच इस बात को लेकर चेतना जागृत हुई है कि अंग दान करने से हम अपने जाने के बाद भी किसी के काम आ पाएंगे।
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नेत्र दान करने वालो की आंखों को संरक्षित रखने के लिए बिलासपुर संभाग में एक ही नेत्र बैंक सिम्स अस्पताल के नेत्र विभाग में मौजूद है। नेत्र दान करने के लिए किसी विशेष तरह के फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होती है। इंसान के देहांत के 5 से 6 घंटे तक आंखें उपयोगी रहती है। इसके लिए इक्षुक व्यक्ति को आईबैंक में जाकर अपना पंजीकरण करवाना होता है।
नेत्र दान करने वालो की आंखों को संरक्षित रखने के लिए बिलासपुर संभाग में एक ही नेत्र बैंक सिम्स अस्पताल के नेत्र विभाग में मौजूद है। नेत्र दान करने के लिए किसी विशेष तरह के फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होती है। इंसान के देहांत के 5 से 6 घंटे तक आंखें उपयोगी रहती है। इसके लिए इक्षुक व्यक्ति को आईबैंक में जाकर अपना पंजीकरण करवाना होता है।