बिलासपुर

Online RTI: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सभी जिला न्यायालयों के लिए ऑनलाइन RTI वेब पोर्टल शुरू, चीफ जस्टिस ने कही यह बात

Bilaspur News: इस वेब पोर्टल के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने कहा कि यह ऑनलाइन पोर्टल पारदर्शिता, जवाबदेही व नागरिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

बिलासपुरSep 06, 2024 / 04:41 pm

Khyati Parihar

Online RTI: चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने हाईकोर्ट तथा राज्य के समस्त जिला न्यायालयों के लिए “ऑनलाइन आरटीआई वेब पोर्टल” की शुरुआत की है। इस पोर्टल के माध्यम से सूचना के अधिकार के तहत् आवेदन प्रस्तुत किए जा सकते हैं। उन्हें रियल टाइम ट्रैक किया जा सकता है और इसके माध्यम से सूचना के अधिकार के तहत् लगने वाले शुल्क का भुगतान भी किया जा सकता है।
इस वेबपोर्टल के माध्यम से दुनिया के किसी भी स्थान से सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जा सकेगा। वेब पोर्टल के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए सीजे सिन्हा ने कहा कि यह पोर्टल पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों को सूचना दिलाने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और सुलभ बनाना है। यह वेबपोर्टल एक केन्द्रीय प्लेटफार्म की तरह कार्य करेगा जहां नागरिक सूचना के अधिकार के तहत् आवेदन को प्रस्तुत कर सकेंगे और यदि असंतुष्ट हैं तो अपील कर सकेंगे। चीफ जस्टिस ने (Bilaspur News) विश्वास व्यक्त किया कि यह वेब पोर्टल नागरिकों को सूचना प्रदाता अधिकारियों से सूचना प्राप्त करने के संबंध में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाला और यह नागरिकों को सूचना प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाएगा। लोक प्राधिकारियों को और अधिक जवाबदेह बनाते हुए एक पारदर्शी व उत्तरदायी प्रशासन सुनिश्चित करेगा।

300 न्यायिक कर्मियों को प्रमोशन भी मिला

चीफ जस्टिस के मार्गदर्शन में 300 न्यायिक कर्मचारियों को पदोन्नत भी किया गया। इसमें जिला न्यायालयों में पदस्थ 11 डिप्टी क्लर्क आफ कोर्ट को प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया।2006 से बहुप्रतीक्षित स्टेनोग्राफरों में सेंदरी 168 स्टेनोग्राफर को स्टेनोग्राफर वर्ग-1, 90 स्टेनोग्राफर को स्टेनोग्राफर वर्ग-2 तथा 23 स्टेनो टायपिस्ट को स्टनोग्राफर के रूप में पदोन्नत किया गया।
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राज्य की आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

छत्तीसगढ़ की नई आबकारी नीति को चुनौती देने वाली कंपनी की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आबकारी एक्ट के अंतर्गत राज्य सरकार को अपनी आबकारी नीति बनाने का पूर्ण अधिकार है। प्रदेश में शराब दुकानों का संचालन और वितरण पहले दस (Bilaspur News) कंपनियों को सौंपा गया था।

मुआवजा प्रकरण: सुको ने जारी किया नोटिस

प्रदेश में भू अर्जन प्राधिकरण में पीठासीन अधिकारी न होने से मुआवजा के प्रकरण अटके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर राज्य शासन से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि प्राधिकारी की नियुक्ति में देर के कारण क्यों न अटके हुए प्रकरणों में अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए। नए भूमि अर्जन अधिनियम 2013 अंतर्गत पूर्व में दायर जनहित याचिका निरस्त की गई थी।

अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव से मिली जानकारी में दस्तावेज नहीं

जिला अस्पताल बिलासपुर की अव्यवस्थाओं पर गुरुवार को सुनवाई में शासन की ओर से अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव ने शपथपत्र प्रस्तुत किया। इसमें बताया कि रिएजेंट की सप्लाई कर दी गई है और मशीनें भी चालू हो चुकी हैं। लेकिन इस संदर्भ में कोई दस्तावेज प्रस्तुत न होने पर कोर्ट कमिश्नर ने आपत्ति की। कोर्ट ने सचिव को दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश देते हुए अगले सप्ताह सुनवाई तय की है।
डिवीजन बेंच में इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान प्रदेश के अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव ने शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया कि जिन रिएजेंट का इस्तेमाल अस्पताल में निरन्तर किया जाता है, उनकी सप्लाई पहले ही कर दी गई है। अब अस्पताल की सभी मशीनें भी अपना काम करने लगीं हैं। इस जवाब पर कोर्ट कमिश्नर ने आपत्ति करते हुए कहा कि, मशीनों और दूसरी आवश्यक चीजों की उपलब्धता के संबन्ध में समुचित दस्तावेज भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होने चाहिए। इस पर डिवीजन बेंच ने अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव को नये सिरे से सभी जरूरी दस्तावेज शपथपत्र के साथ प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि बिलासपुर के जिला अस्पताल में व्याप्त घोर अव्यवस्था को लेकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वयं संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है। पिछली बार हुई सुनवाई में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अपर मुय सचिव ने शपथपत्र प्रस्तुत किया था। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) और सिविल सर्जन ने भी अपना पक्ष रखा था। इसमें दी गई जानकारी अलग अलग थी। राज्य शासन के वकील ने वास्तविक तथ्य का पता लगाने हाईकोर्ट से समय मांगा था।

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