यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शिवरीनारायण, पामगढ़, खरसिया, बाराद्वार और शहर के शांति निकेतन कॉलेज के निरीक्षण के लिए रतनपुर के शासकीय महामाया कॉलेज के रिटायर्ड प्राचार्य प्रोफेसर एके त्रिपाठी की अध्यक्षता में और जैजैपुर तथा हसौद समेत अन्य कॉलेजों के निरीक्षण के लिए टीसीएल कॉलेज जांजगीर के रिटायर्ड प्रिसिंपल जे के जैन की अध्यक्षता में दूसरी कमेटी का गठन भी कर रखा है। प्रो. त्रिपाठी ने पहले तो निरीक्षण से इनकार कर दिया था, परंतु बाद में सहमति भी दी लेकिन इन कॉलेजों का निरीक्षण करने आज तक नहीं पहुंचे। कमोबेश यही हाल प्रोफेसर जैन की अध्यक्षता में गठित दूसरी कमेटी का भी है। उन्होंने भी अभी तक किसी भी कॉलेज का निरीक्षण नहीं किया। उधर शासकीय कॉलेज प्रशासन और निजी कॉलेज प्रबंधन आज तक निरीक्षण के लिए टीम की बांट ही जोह रहे हैं। निरीक्षण के अभाव में न तो ये कॉलेज प्रबंधन और प्रशासन नए संकाय शुरू कर पा रहे हैं और न ही सीटों की संख्या में वृद्धि कर पा रहे हैं।
जिसके कारण सीट संख्या कम होने और नया संकाय न खुलने की वजह से अंचल के विद्यार्थियों को अपना घर गांव छोड़कर उच्चशिक्षा प्राप्त करने के लिए बिलासपुर या दीगर जिले के उच्चशिक्षण संस्थानों में जाकर अध्ययन करना पड़ रहा है।
इन कॉलेजों ने दिया है आवेदन : शिक्षण सत्र 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में श्रीमहंत लालदास कला एवं विज्ञान कॉलेज शिवरीनारायण,जीआरडी कॉलेज पामगढ़, बीयू के पीछे शांतिनिकेतन कॉलेज, शासकीय कॉलेज खरसिया, जगरानी देवी कॉलेज बाराद्वार शासकीय कालेज जैजैपुर और शासकीय कॉलेज हसौद ने नए संकाय खोलने और सीटों में वृद्धि करने के लिए 2-३ साल से आवेदन दे रखा है।
इन कॉलेजों ने दिया है आवेदन : शिक्षण सत्र 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में श्रीमहंत लालदास कला एवं विज्ञान कॉलेज शिवरीनारायण,जीआरडी कॉलेज पामगढ़, बीयू के पीछे शांतिनिकेतन कॉलेज, शासकीय कॉलेज खरसिया, जगरानी देवी कॉलेज बाराद्वार शासकीय कालेज जैजैपुर और शासकीय कॉलेज हसौद ने नए संकाय खोलने और सीटों में वृद्धि करने के लिए 2-३ साल से आवेदन दे रखा है।
इसके पीछे कई कारण : इसके पीछे एक नहीं कई कारण है, कॉलेज प्रबंधन अपना पक्ष तो बता रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि इन कॉलेजों ने पूर्व में की गई वृद्धि की जानकारी आज तक नहीं दी है। जहां तक इसके लिए गठित टीम की बात है यदि नहीं चाहते तो टीम के अध्यक्ष या सचिव लिखकर दें कि वे निरीक्षण में नहीं जाना चाहते या फिर कॉलेज प्रबंधन व प्रशासन लिखकर दे कि दो-तीन साल से आवेदन करने के बाद भी उनके संकाय और सीट वृद्धि के आवेदन के बाद भी अफसरों की टीम नहीं पहुंची है, ताकि दूसरी कमेटी का गठन कर उन्हें संबंधित कॉलेजों में भेजा जा सके।
-डॉ इंदु अनंत, कुलसचिव बिासपुर यूनिवर्सिटी बिलासपुर
-डॉ इंदु अनंत, कुलसचिव बिासपुर यूनिवर्सिटी बिलासपुर