बिलासपुर

Kyrgyzstan Violence: यूक्रेन-रूस युद्ध में फंसे विद्यार्थी आए किर्गिस्तान, लेकिन यहां भी डर का माहौल, छात्रों ने बताया कैसे भड़क रही हिंसा

Kyrgyzstan Violence: यूक्रेन-रूस युद्ध में फंसे विद्यार्थी हिंसाग्रस्त से दूर किर्गिस्तान पढ़ने के लिए आए, लेकिन यहां के हिंसक माहौल से सहमे हुए है।

बिलासपुरMay 20, 2024 / 08:39 am

Kanakdurga jha

Kyrgyzstan Violence: प्रवासी छात्रों की पिटाई के बाद चर्चा में आए किर्गिस्तान में जिले के मस्तूरी का विजय मंडल मेडिकल की पढाई कर रहा है। विजय ने बताया कि वे ओश शहर में रहता है, जो किर्गिस्तान का दूसरा बड़ा शहर है। यह जगह हिंसाग्रस्त बिश्केक शहर से करीब 500 किमी दूर है।
ओश में भी स्थानीय युवा प्रवासी छात्रों को लेकर आक्रोशित हैं और उन्हें टारगेट कर रहे हैं। 18 मई की शाम उनके हॉस्टल के बाहर कुछ प्रदर्शनकारी युवा इकट्ठे होकर हंगामा कर रहे थे। जिससे हॉस्टल के छात्र घबरा गए थे, लेकिन कुछ देर बाद स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को हटाया और रातभर हॉस्टल के बाहर तैनात रही।
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Indian Student In Kyrgyzstan: पिता को सता रही बेटे की चिंता

विजय के पिता सुशांत मंडल ने बताया कि जब से किर्गिस्तान में प्रवासी छात्रों की पिटाई की खबर सुनी है वे बेटे विजय को लेकर चिंतित है। वे अपने बेटे से लगातार फोन कर कुशलक्षेम पूछ रहे हैं और वहां के माहौल की जानकारी ले रहे हैं।

Kyrgyzstan Violence: यूक्रेन से शिफ्ट, रूस व किर्गिस्तान की ओर गए छात्र

पिछले साल रुस व यूक्रेन में शुरू हुई लड़ाई के बाद छत्तीसगढ़ के छात्र यूक्रेन जाने के बजाय अब किर्गिस्तान और रूस की ओर पढ़ाई करने जा रहे हैं। यही कारण है कि पिछले सालों की तुलना में किर्गिस्तान में छत्तीसगढ़ के ज्यादा छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार करीब 400 के आसपास छात्र किर्गिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। यूक्रेन जाने वाले छात्रों की संख्या शून्य हो गई है। कुछ छात्र चीन भी जा रहे हैं। वहां भी मेडिकल की पढ़ाई सस्ती पड़ती है।

Chhattisgarh Student In Kyrgyzstan: 22 से 25 लाख में पूरे कोर्स की पढ़ाई

किर्गिस्तान रुस व चीन में एमबीबीएस के पूरे कोर्स की पढ़ाई 22 से 25 लाख में हो रही है। जबकि छत्तीसगढ़ के निजी मेडिकल कॉलेजों में केवल ट्यूशन फीस 35 लाख से ज्यादा है। इसमें हॉस्टल, ट्रांसपोर्टेशन व मेस का खर्च अलग है। यही कारण है कि जिन छात्रों का चयन देश के किसी मेडिकल कॉलेज में नहीं होता, वे विदेश की ओर रुख करते हैं।
विदेश में मिली डिग्री का उतना ही महत्व है, जितना भारत के किसी कॉलेज में पढ़ाई करने से डिग्री मिलती है। हां भारत में प्रेक्टिस करने के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम पास करना जरूरी है।

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