यहां कुल आठ प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें से कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी पेशे से डॉक्टर हैं। दो डॉक्टरों के बीच मरवाही विधानसभा उपचुनाव के इस मुकाबले में कांग्रेस के डा केके ध्रुव ने भाजपा के डा गंभीर सिंह को पराजित किया। जीत के बाद डॉ. धु्रव ने मंदिर जाकर आर्शिवाद लिया। वहीं बुधवार को सुबह १० बजे सीएम से रायपुर में मुलाकात करेगें।
मरवाही का राजनीतिक इतिहास
राज्य गठन और अजीत जोगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद रामदयाल उइके जो भाजपा के तत्कालीन विधायक थे, उन्होंने उस वक्त अजीत जोगी के लिए यह सीट छोड़ी थी। अजीत जोगी का गृह ग्राम भी इसी क्षेत्र में है। इसके बाद से यह सीट लगातार कांग्रेस के कब्जे में रही। पिछले विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया और इस सीट से चुनाव जीते थे। उनके निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी। इस जीत के साथ ही कांग्रेस के विधायकों की संख्या 69 से बढ़कर 70 हो गई है।
इस चुनाव में नहीं रही जोगी परिवार की सहभागिता
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद रिक्त हुई इस सीट पर तीन नवंबर को मतदान हुआ था। राज्य निर्माण के बाद यही पहली मर्तबे है जब मरवाही विधानसभा उपचुनाव में जोगी परिवार की सहभागिता नजर नहीं आई। इस जीत से राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ ही उपचुनाव के पहले शासन द्वारा लिए गए निर्णय पर मरवाही के मतदाताओं ने मुहर लगा दी है। इस फैसले के साथ ही जोगी परिवार के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सवालिया निशान उठ खडा़ हुआ है।
मरवाही में एक लाख 91 हजार चार मतदाता हैं। 77.25 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। पहली बार 70 वर्ष या इससे अधिक के बुजुर्गों और कोरोना संक्रमित मतदाताओं के लिए डाक मतपत्र की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। एक हजार 104 बुजुर्ग व कोरोना संक्रमित मतदाताओं ने डाक मतपत्र के जरिए मतदान किया था। इसके अलावा जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा मतदान के दिन शाम पांच से छह बजे का समय कोरोना संक्रमित मतदाताओं के लिए आरक्षित रखा था।
कांग्रेस हुआ मजबूत
उपचुनाव के दौर में जकांछ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र को राज्य स्तरीय जाति छानबीन समिति ने रद कर दिया था। ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र को मुंगेली जिला स्तरीय छानबीन समिति ने निलंबित कर दिया है। इसे लेकर जोगी परिवार ने मरवाही में न्याय यात्रा भी निकाली थी।
सहानिभूति का नहीं मिला फायदा
चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि न्याय यात्रा को मतदाताओं ने सिरे से खारिज कर दिया है। गौर करने वाली बात ये रही कि स्व जोगी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में सहानुभूति लहर का फायदा भाजपा नहीं उठा पाई। कांग्रेस की जीत के अहम मायने है। मरवाही की जनता ने राज्य सरकार के फैसले पर न केवल अपनी सहमति की मुहर लगा दी है वरन जोगी परिवार से हटकर अपना नया जनप्रतिनिधि भी चुन लिया है।