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उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व पर अपने विचार रखे। कामरेड वासुदेव विद्यार्थी जीवन से ही सक्रिय राजनीति में थे। कुछ दिनों तक अध्यापन कार्य करने के बाद वह पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। उनकी श्रमिकों की राजनीति में असाधारण पकड़ थी एवं जीवनशैली अत्यंत सरल थी।देश के मेहनतकशों के आंदोलनों के वह सदैव नेतृत्वकर्ता थे।वह रेलवे, बीमा एवं कोयला क्षेत्र के आंदोलनों से बड़ी निकटता के साथ जुड़े थे।लम्बे समय तक रेलवे की संसदीय स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन रहने के साथ साथ वह अनेक संसदीय समिति के सदस्य थे।
संसद के अंदर श्रमिकों की मांग वह बड़े प्रभावशाली ढंग से रखते थे। बिलासपुर शहर से उनका आत्मिक लगाव था एवं वह लगभग बीस बार शहर में आकर श्रमिकों को अपना मार्गदर्शन दिये थे। वक्ताओं ने अपने निजी अनुभव भी साझा किए। सबकी एकमत राय थी कि जब आज श्रमिकों एवं श्रम कानूनों पर बड़े हमले हो रहे हैं ऐसे समय में कामरेड वासुदेव आचार्य का निधन श्रमिक आंदोलनों की अपूरणीय क्षति है जिसकी भरपाई असंभव है। वक्ताओं एवं सभा में उपस्थित नागरिकों ने उनके जीवन सीख लेकर उनके गुणों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
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सभा में साथी रवि बैनर्जी,जिला सचिव सीपीएम, महेश श्रीवास,पी आर यादव, राजेश शर्मा, नंद कश्यप, एस के जैन, शौकत अली, आर के मिश्रा, रवि श्रीवास, सुखऊ निषाद, राकेश शर्मा, मधुकर गोरख एवं वी के तिवारी क्षेत्रीय सचिव एलएसआरए, आर मुखोपाध्याय एवं संजय मांझी ने अपने विचार प्रकट किए। अंत में इप्टा के अरूण दाभड़कर सचिन शर्मा आदि ने जनगीत प्रस्तुत किया।सभा में बड़ी संख्या में आम नागरिक एवं श्रमिक उपस्थित थे।
अंत में कामरेड वासुदेव आचार्य एवं केंद्रीय कमेटी के पूर्व सदस्य साथी एन शंकरैया जिनका हाल ही में निधन हुआ है,को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजली दी गई। श्रद्धांजली सभाकी अध्यक्षता साथी पी आर यादव एवं संचालन साथी राजेश शर्मा ने किया।